अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो मध्यप्रदेश की तरह यूपी में भी आलू की खेती करने वाले व गन्ना किसानों का गुस्सा फूट सकता है। किसान संगठनों ने इसके लिए चेतावनी दी है।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों ही राज्यों में, भाजपा सरकारों ने विरोध करने वाले किसानों से निपटने के लिए समान रणनीतियां इस्तेमाल की। उनकी सोच थी की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संबद्ध संगठनों के साथ एक समझौता करके आंदोलन में फूट दाल दें।
एक जून को दो राज्यों में एक साथ किसान आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर आए। दोनों ही राज्यों में किसान ने शहरों में जाने वाले दूध और सब्जी समेत अन्य उत्पाद भी रोक दिया या फिर फल सड़कों पर फेंक दिए और दूध सड़कों पर बहा दिया। मध्य प्रदेश के मलावा और निमाड़ में आंदोलन उग्र होता चला गया। पुलिस पर पत्थर फेंके और वाहन जला डालना जैसी घटनायें आम होती चली गयी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की परेशानी अब और बढ़ती जा रही है। मंदसौर में भड़की किसान आंदोलन की आग से अब पूरे राज्य को अपने आगोश में ले रही है। कर्फ्यू के बाद भी हालात पर काबू नहीं पाया जा सका है।
मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान हुई फायरिंग और किसानों के मुद्दों को लेकर प्रधान मंत्री मोदी ने बैठक ली है। सूत्रों के अनुसार देश के कई हिस्सों में किसानों का प्रदर्शन और मंदसौर में हुई फायरिंग पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलाई गई। वहीं मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के हालात को लेकर सीएम शिवराज सिंह ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को फोनकर जानकारी दी है।
मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन की आग मंदसौर के बाद राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल रही है। मंगलवार को हुई गोलीबारी में छः किसानों की मौत के बाद आंदोलन ने उग्र रूप भी ले लिया है।
मध्यप्रदेश के मंदसौर में चल रहा किसान आंदोलन मंगलवार को हिंसक हो गया। आंदाेेेलनकारी किसानों पर गोलीबारी में छः किसानों के मारे जाने की खबर है, जबकि कई लोग घायल हो गए हैं। मंदसौर के जिलाधिकारी एसके सिंह ने छः लोगों के मरने की पुष्टि की है।
फसलों के उचित दाम और कर्ज माफी जैसे मुद्दों को लेकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किसान आंदोलन उग्र होता जा रहा है। आंदोलन में फूट डालने की भाजपा सरकार की कोशिशें बेअसर होती दिख रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने सोशल मीडिया साइट के माध्यम से कहा कि देश में सभी प्रकार के जाति आधारित आरक्षण बंद होने चाहिए। उन्होंने इसे देश के लिए एक अभिशाप बताया है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का गुरुवार को दिल्ली के एम्स में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। मध्य प्रदेश के रहने वाले दवे 60 वर्ष के थे। संघ से जुड़े दवे को पिछले मंत्रिमंडल विस्तार में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में जगह दी थी।