उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस हर तरीके की रणनीति अपनाने में जुट गई है। इसके लिए पार्टी अपने घोषणा पत्र में गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने पर भी विचार कर रही है।
पंजाब में युवाओं के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र के मुख्य पृष्ठ पर स्वर्ण मंदिर की तस्वीर का इस्तेमाल करने और इस पर अपने चुनाव चिह्न ‘झाड़ू’ की तस्वीर छापने के मामले में पार्टी खासी आलोचना हो रही है।
चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?