आम आदमी पार्टी के असंतुष्ट नेता प्रशांत भूषण ने पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल को नया पत्र लिखकर उन मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया है जिन्हें वह उठाने की कोशिश करते रहे हैं। भूषण ने इन खबरों को भी खारिज कर दिया कि अगर केजरीवाल उनकी मांगों को मान लेते हैं तो वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटने को तैयार हैं।
मोदी सरकार ने संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कराने के लिए सारी शक्ति झोंक रखी है। अलग-अलग मंत्रियों को इसके लिए विपक्ष को राजी करने की जिम्मेदारी सौंप रखी है।
राज्यसभा में आज जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के खिलाफ पूर्व में की गयी अपनी टिप्पणी को लेकर उठे विवाद पर विराम लगाने के प्रयासों के तहत कहा कि वह उनका बहुत सम्मान करते हैं और ऐसा कहने का उनका कोई आशय नहीं था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मानहानि के मामले में दिल्ली की एक अदालत के समक्ष पेश हुए। मामले के सिलसिले में आप नेता योगेन्द्र यादव भी अदालत में पेश हुए। अदालत ने मामले में केजरीवाल, सिसोदिया और यादव के खिलाफ आरोप तय करने संबंधी आदेश के लिए दो मई की तारीख निर्धारित की।
आम आदमी पार्टी (आप) में केजरीवाल गुट और योगेंद्र-प्रशांत के बीच सुलह के आसार नजर आ रहे हैं। संघर्षरत धड़ों में सुलह का संकेत देते हुए अरविंद केजरीवाल के बेंगलूरू से लौटने के कुछ ही घंटों बाद उनके समर्थक नेताओं ने सोमवार को देर रात योगेंद्र यादव से मुलाकात की और कई विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत की।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गैर मौजूदगी पर कड़ा रूख अपनाते हुए दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें मानहानि से जुड़े एक मामले में मंगवार दोपहर दो बजे से पहले पेश होने के निर्देश दिए हैं।
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर जो टिप्पणी की वह संसद के गलियारे में चर्चा का विषय बन गया। दरअसल महिलाओं के खिलाफ विवादित टिप्पणी को लेकर आलोचना का सामना कर रहे शरद यादव अपने बयान से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए और कहा कि वह इस मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं।
भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति, प्रत्यक्ष लोकतंत्र (डायरेक्ट डेमोक्रेसी), स्वराज जैसे जुमलों को हवा में उछाल कर जिस तरह आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ दिल्ली की सत्ता में आई। उसे जनता के एक बड़े हिस्से ने भारतीय राजनीति में बदलाव की ताकत के तौर पर देखा। लेकिन पार्टी के मुख्य हीरो जिस तरह लगातार इन शब्दों का मजाक उड़ाते रहे उससे नाराज लोग अब सवाल उठाने लगे हैं कि यह आप का स्वराज है कहां?
आप की भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति की पोल अब पूरी तरह खुल चुकी है। यह भी साबित हो चुका है कि पार्टी का केजरीवाल गुट किसी भी तरह से सत्ता में आना और बने रहना चाहता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरह से आपराधिक, धनबली और बाहुबली प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया उस पर सवाल तो उठे थे लेकिन केजरीवाल गुट के मीडिया मैनेजरों ने कभी भी इन्हें मुख्य सवाल नहीं बनने दिया। क्या अपराधियों और बाहुबलियों को साथ लेकर कोई भ्रष्टाचार विरोधी लड़ी जा सकती है। यह सवाल उठाना अब पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को महंगा पड़ रहा है क्योंकि कल के उम्मीदवार आज चुनाव जीत चुके हैं और दोनों नेताओं को ठिकाने लगाने के लिए अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी कर रहे हैं।