हरियाणा में कमल वाली सरकार आने के बाद से लेकर अभी तक कोई करिश्मा नहीं हुआ। वादों की जमीन बंजर है। लेकिन एक मंत्री ऐसे हैं जिनका अपने विभाग के काम को लेकर ऐसा जुनून है कि इतनी चर्चा सरकारी योजनाओं की नहीं होती जितनी उनके ट्वीट की हो जाती है। जब से इन्होंने पदभार संभाला है तब से छापे और बर्खास्तगियां आम बात है। वह कभी अस्पताल तो कभी सचिवालय की छत पर खुद चढक़र पानी की टंकी साफ करने लगते हैं। स्वास्थ्य विभाग में इनका ऐसा हौवा है कि हरियाणा में एक जुमला कहा जाने लगा है, ‘भाग नहीं तो अनिल विज आ जाएगा’। पांच दफा विधायक चुने जा चुके साफ-सुथरी छवि के विज ने न तो सरकारी मकान लिया, न टेलीफोन सुविधा। गलत निर्णयों में अपनी ही सरकार की ऐसी-तेसी करने से भी नहीं डरते।
भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के उत्थान के लिए संविधान में कई अनुच्छेद बड़ी सतर्कता से शामिल किए। इन अनुच्छेदों में समाज में दलितों को समान दर्जा, अस्पृश्यता उन्मूलन और उनके प्रति भेदभाव मिटाने के प्रावधान, सबके लिए मौलिक अधिकारों के प्रावधान, समान न्यायिक सुरक्षा, मताधिकार और शिक्षा, रोजगार, पदोन्नति में आरक्षण, तरक्की तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व के प्रावधान रखे गए।
छुआछूत उन्मूलन के सारे सरकारी वादे खोखले हो जाते हैं जब खबर आती है कि किसी मंदिर में दलितों को जाने से रोका गया। हिमाचल प्रदेश के जोगिंद्रनगर जिले के गांव घटासणी में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां दलितों को जालपा मंदिर में प्रवेश से न केवल रोका गया बल्कि फतवे के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले दलितों को धमकाया भी जा रहा है। हालांकि इस घटना को दबाने के लिए प्रशासन और पुलिस ने ठीक से लीपापोती कर दी है।
देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए उनके बेटे सुनील शास्त्री ने संबंधित फाइलों के खुलासे की मांग की है। इससे पहले मनमोहन सिंह सरकार उनकी इस मांग का अनसुना कर चुकी है।
दूरदर्शन द्वारा संस्कृत-समाचार प्रसारण की अवधि बढ़ाने के निर्णय पर कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि संस्कृत मोदी सरकार के एजेंडे में है। इस निर्णय का निहितार्थ भी आसानी से समझ में आने वाला है, इसलिए इस पर सवाल भी उठेंगे ही। इस ऐलान के बाद लोगों के जेहन में सबसे पहला सवाल तो यह है कि संस्कृत में न्यूज बुलेटिनों और समाचार-चर्चा के कार्यक्रमों का दर्शक या श्रोता वर्ग कौन है? दूसरा सवाल यह है कि देश में कितने लोग ऐसे होंगे जो वास्तव में संस्कृत माध्यमों से इन कार्यक्रमों की बाट जोह रहे हैं? ये महज शोशा है या इसकी कोई ठोस जरूरत है?
हरियाणा के अटाली गांव में हुई हिंसा के लिए आप आदमी पार्टी के जांच दल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की इलाके में कुछ दिनों पहले हुई एक रैली को जिम्मेदार ठहराया है।