ब्रेकिंग न्यूज देने के चक्कर में खबरों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। बिना खबर को पुष्ट किए ही खबर चला दी जाती है और बाद में खबर गलत हो जाती है तो मिलती-जुलती खबर देकर मामले को दूसरा रुप दिया जाने लगता है। जंतर-मंतर पर गजेंद्र सिंह की खुदकुशी के मामले में भी कुछ ऐसा ही पढ़ने और देखने को मिल रहा है।
सोनभद्र में 38 वर्षों से लंबित कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर डूब क्षेत्र के ग्रामीणों और जिला प्रशासन में खूनी संघर्ष। प्रशासन ने की परियोजना स्थल की नाकाबंदी। धरनारत ग्रामीणों पर हुई गोलीबारी की जांच करने पहुंचे स्वतंत्र जांच दल को परियोजना निर्माण समर्थकों ने दो घंटे तक बनाया बंधक।
आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान हुई किसान की खुदकुशी के मामले में दिल्ली पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट नयी दिल्ली क्षेत्र के जिलाधिकारी को सौंप दी है। दिल्ली पुलिस के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में गजेंद्र की मौत का कारण दम घुटना बताया गया है। आगे की जांच अब नयी दिल्ली के जिलाधिकारी करेंगे।
दिसंबर 2013 दंगा मामले में देश के 25 आरोपियों में से अंतिम भारतीय की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील और पुलिस के बीच सबूतों को लेकर तीखी बहस हुई और वकील ने एक पुलिस अधिकारी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में पुलिस के पूर्व आला अधिकारी की नियुक्ति सवालों के घेरे में आ गई है। बताया जा रहा है कि उक्त अधिकारी जब बड़े ओहदे पर थे उस समय स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आया था।
आम आदमी पार्टी की किसान रैली में आत्महत्या करने वाले गजेंद्र सिंह की मौत पर पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में केजरीवाल ने कहा, उस समय रैली जारी रखना मेरी गलती थी और मैं सबसे माफी मांगता हूं। इस मामले की पुलिस और मजिस्ट्रेट जांच चल रही है और जो भी इसका दोषी हो, उसे चाहे फांसी पर लटका दो। लेकिन बहस इसी पर केंद्रित होनी चाहिए कि किसान खुदकुशी क्यों कर रहे हैं।
देश की संसद से महज चंद किलोमीटर दूर जंतर-मंतर पर राजस्थान के किसान गजेंद्र सिंह ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। तंगहाली और गरीबी से तंग गजेंद्र की मौत का तमाशा देखते रहे सभी। हजारों की तादाद में वहां लोग और पुलिसक्रमी मौजूद थे। सभी ने गजेंद्र को पेड़ पर चढ़ते हुए देखा और आत्महत्या की तैयारी करते हुए भी। देखते ही देखते गजेंद्र फंदे से झूल गया और चंद सेकेंड में उसके प्राण पखेरू उड़ गए। उस वक्त आप के तमाम बड़े नेता मंच पर मौजूद थे लेकिन भाषणबाजी का सिलसिला जारी रहा। सोशल मीडिया पर इस शर्मनाक घटना को लेकर जहां नेता, किसानों की बरबाद फसलों और मौतों पर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं वहीं आम इंसान गजेंद्र की आत्महत्या से बेहद गुस्से में है।