दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के नाम पर पिछले दशकों में राजीनतिक खेल होते रहे हैं, लेकिन भाजपा सहयोगी संगठनों ने इस बार ‘स्नान राजनीति’ का नया रूप पेश कर दिया है।
बुंदेलखंड में सूखे की समस्या और इसे लेकर शुरू हुई राजनीति के बीच आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान अखिलेश ने न सिर्फ सूखे के कारण राज्य में फसल को हुई व्यापक क्षति की भरपाई के लिए विशेष सहायता की मांग की बल्कि राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे पेयजल योजनायों के लिए भी वित्तीय मदद की मांग की।
कूचबिहार के चालसा के जिस रिसोर्ट में रुककर मतदान के आखिरी चरण पर नजर रही थीं, वहां से अचानक वे निकल गईं। राजनीति में `अनप्रेडिक्टेबल’ कही जाने वाली ममता बनर्जी ने अपने स्वभाव के अनुसार यह कदम नहीं उठाया। बल्कि, वहां चुनाव पर्यवेक्षक के पहुंचने और कांग्रेस के नेताओं द्वारा उस रिसोर्ट के प्रबंधकों को बार-बार फोन किए जाने के चलते दीदी वहां से बगैर किसी को जानकारी दिए निकल गईं।
दलाली के घने काले बादल के खतरों को देखते हुए पिछले 15 वर्षों के दौरान हर सरकार रक्षा सामग्री की खरीदी में देरी करती रही है। फिर भी बोफोर्स तोप खरीदी से लेकर अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर खरीदी के सौदे में दलाली के आरोपों ने संपूर्ण राजनीतिक व्यवस्था को हिलाकर रखा है।
बसपा सुप्रीमो मायावती को मां काली और उनके हाथ में भाजपा नेताओं के कटे सिर दर्शाने वाला पोस्टर सामने आने से यूपी में राजनीति का पारा अचानक से गरम हो गया है। कुछ दिनों पहले ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का भी ऐसा ही एक पोस्टर सामने आया था।
इशरत जहां मामले में सोनिया गांधी पर नए सिरे से निशाना साधते हुए भाजपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम को मामले में दूसरा हलफनामा दाखिल करने को कहा था क्योंकि संप्रग आतंकवादियों को तो बर्दाश्त कर सकती थी लेकिन प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी को नहीं।
केंद्र और दिल्ली सरकार की नाक के नीचे हजारों दलित परिवारों के लिए पीने लायक साफ पानी, बच्चों के लिए शिक्षा, सिर छिपाने लायक छोटे फ्लैट, गंदी नालियां और शौचालय साफ करने के लिए सामान और उचित मजदूरी नहीं है।