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Search Result : "छोटे उद्यमी"

चर्चाः कर्ज लेकर घी पीने के खतरे | आलोक मेहता

चर्चाः कर्ज लेकर घी पीने के खतरे | आलोक मेहता

कर्ज लो, नई कंपनी बनाओ, चलाओ, मुनाफा कमाओ। सुनकर निश्चित रूप से अच्छा लगेगा। प्रारंभिक मुनाफे पर टैक्स न लगना भाता है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की घोषणाओं से युवा उद्यमियों को अवश्य प्रोत्साहन मिल रहा है।
बदलते भारत को नई ताकत देतीं देवियां

बदलते भारत को नई ताकत देतीं देवियां

महिला शिक्षा और सशक्तीकरण का बीड़ा उठा रहीं महिला हस्तियों की दिलचस्प और अनुकरणीय पहल, जो कारोबार, खेल और बैंकिंग क्षेत्रों में कामयाबी की बुलंदी छू रही हैं
छोटे कद के बड़े अदाकार सईद जाफरी नहीं रहे

छोटे कद के बड़े अदाकार सईद जाफरी नहीं रहे

सत्तर के दशक में फिल्में अलग बन रही थीं तो कलाकार भी अलग थे। मंझौले कद के अभिनेता सईद जाफरी उन्हीं में से एक थे। छियासी साल की आयु में सईद जाफरी ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
फिर छोटे परदे पर बिग बी

फिर छोटे परदे पर बिग बी

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आने वाले टीवी शो आज की रात है जिंदगी से छोटे पर्दे पर हलचल मचाने को तैयार हैं।
छोटे शहर भाग जाना चाहते थे जावेद अख्तर

छोटे शहर भाग जाना चाहते थे जावेद अख्तर

सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके प्रसिद्ध गीतकार, पटकथाकार और कवि जावेद अख्तर ने एक समय किसी छोटे शहर भाग जाने और वहां किसी छद्म नाम के साथ रहने के बारे में सोचा था क्योंकि उन्हें लगा था कि वह अब और लेखन नहीं कर सकते।
आत्मा के योग से राजबल के योग तक

आत्मा के योग से राजबल के योग तक

आंगन के पार पूरब में कमरे थे, कमरों के पार दालान। दालान के पार रास्ता था, रास्ते के पार आंवला, कनेर और बेल के पेड़ थे, फिर मेड़ की आड़। आड़ के पार पोखर था जिसके जल में आसमान में उगता गोल और सुर्ख सूरज टलमल करता था। पोखर के पार दादा जी (छोटे बाबा) की कुटी थी जिसमें एक कमरे के ऊपर उजियार कमरा था और नीचे अंधेरा तहखाना। कुटी के पार आमों के बाग थे, बाग के पार दूर तक खेत-सरेह। दूर सरेह के पार बडक़ी नहर की आड़ दिखती थी। लेकिन इस सुदूर विस्तार में हजारों, सैकड़ों या बीसियों तक क्या, इक्का-दुक्का भी समवेत योग नहीं होता था।
छोटे-छोटे मसलों से ऊपर उठकर विकास पर ध्यान दे सरकारः एसोचैम

छोटे-छोटे मसलों से ऊपर उठकर विकास पर ध्यान दे सरकारः एसोचैम

दिल्ली में उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ‌बीच छिड़े विवाद में केंद्र सरकार के भी कूद पड़ने पर उद्योग संघ ने कड़ी टिप्पणी की है। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी की जनता ने अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए केजरीवाल सरकार को चुना है, लोगों को संविधान में लिखे शब्दों से कोई लेना-देना नहीं है।
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