पहले युद्ध और प्रेम में सबकुछ जायज ठहराया जाता था। अब आर्थिक-व्यापारिक हित शायद सबकुछ जायज कर देते हैं, यहां तक कि युद्ध और प्रेम को भी। बल्कि इनके बारे में यू-टर्न को भी। अच्छा हुआ कि अपने घरेलू जनाधारों में उबाल भरने के लिए दिखावे के जंगी स्वांग में भड़काऊ बयानबाजी के घोड़ों पर सवार भारत और पाकिस्तान की हुकूमतों ने अपनी भड़काऊ बयानबाजी के ऊंचे घोड़ों से उतरकर एक-दूसरे से पहले पेरिस में प्रधानमंत्री के स्तर पर, फिर क्रमश: बैंकॉक और इस्लामाबाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और विदेशी मंत्रियों के जरिये एक-दूसरे से बातचीत शुरू करने के लिए हाथ मिलाया।
अमेरिका में 35 लाख डॉलर की बिक्री कर चोरी को लेकर भारतीय मूल के सात कारोबारियों को आरोपित किया गया है। इस अपराध में उन्हें 15 साल तक की सजा हो सकती है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व प्रॉक्टर डॉ.जमशेद सिद्दीकी की प्रोफेसर पद पर नियुक्ति पिछले काफी समय से विवादों में है। इस बारे में विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) जमीरउद्दीन शाह से शिकायत भी की गई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब इस मसले पर उपराष्ट्रपति कार्यालय ने संज्ञान लेते हुए कुलपति कार्यालाय को मामले पर गौर करने के आदेश दिए हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में एमबीबीएस में फर्जी दस्तावेंजों समेत दाखिला लेने पहुंची उमइया मंजूर की गिरफ्तारी विश्वविद्यालय की एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में हुई कथित धांधली की ओर इशारा करती है। उमइया ने जो एडमिट कार्ड पेश किया उसपर उसका रोल नंबर 2182008 अंकित था जो कि केरल में कोलीकोड सेंटर, फारूख कॉलेज (एएमयू की मेडिकल परीक्षा का सेंटर) की अमरूथा स्टीफन का रोल नंबर है। अमरूथा स्टीफन वह लडक़ी है जिसने कोलीकोड सेंटर से एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा में टॉप किया है। गौरतलब है कि इस वर्ष 26 अप्रैल को एएमयू एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा के लिए देशभर के 11 शहरों में 79 सेंटर पर 73 एमबीबीएस और 22 बीडीएस सीटों के लिए 42,000 बाहरी छात्रों ने परीक्षा दी थी। जिसमें से केवल कोलीकोड सेंटर से पहली दफा 60 फीसदी छात्रों ने यह परीक्षा उतीर्ण की जबकि इससे पहल यह प्रतीशत मात्र 3 से 5 होता था।
जर्मनी की वाहन निर्माता कंपनी फॉक्सवैगन दुनिया की सबसे बड़ी वाहन कंपनी बन गई है। फॉक्सवैगन ने हाल तक विश्व की सबसे बड़ी वाहन निर्माता रही टोयोटा को पीछे छोड़ दिया है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), यानी भारत के गरीब और आम बीमार आदमी का मक्का-मदीना। देश भर के गरीबों के लिए बड़ी से बड़ी बीमारियों से लड़ने का आखिरी मुकाम। अक्सर यह बड़े नेताओं के इलाज करवाने की वजह से भी चर्चा में रहता है। एक बार फिर इसका चरित्र बदलने की कवायद चल रही है। एक बार फिर इसे रईसों, सुविधा संपन्न बीमारों के लिए चमचमाने की कोशिश हो रही है। यह पूछने की जरूरत नहीं है कि ऐसा आम मरीजों के इलाज और विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए आने वाले पैसे से ही करने की तैयारी है।