पहले युद्ध और प्रेम में सबकुछ जायज ठहराया जाता था। अब आर्थिक-व्यापारिक हित शायद सबकुछ जायज कर देते हैं, यहां तक कि युद्ध और प्रेम को भी। बल्कि इनके बारे में यू-टर्न को भी। अच्छा हुआ कि अपने घरेलू जनाधारों में उबाल भरने के लिए दिखावे के जंगी स्वांग में भड़काऊ बयानबाजी के घोड़ों पर सवार भारत और पाकिस्तान की हुकूमतों ने अपनी भड़काऊ बयानबाजी के ऊंचे घोड़ों से उतरकर एक-दूसरे से पहले पेरिस में प्रधानमंत्री के स्तर पर, फिर क्रमश: बैंकॉक और इस्लामाबाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और विदेशी मंत्रियों के जरिये एक-दूसरे से बातचीत शुरू करने के लिए हाथ मिलाया।
दुनिया को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाने के लिए विश्व के 196 देशों के बीच पेरिस में ऐतिहासिक हो गया है। लंबी खींचतान और विचार-विमर्श के बाद भारत, चीन, अमेरिका समेत छोटे-बड़े तमाम देश इस समझौते पर राजी हुए। इसमें धरती के तापमान में बढ़ोतरी को 2 डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे रखने का लक्ष्य रखा गया है।
मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों को नई उंचाइयों पर ले जाते हुए भारत और जापान ने रक्षा और परमाणु उर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों के साथ ही भारत में पहले बुलेट ट्रेन नेटवर्क के निर्माण का करार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिन्जो आबे के बीच दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में एक शिखर वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच कई पहमाणु ऊर्जा समेत कई अहम रणनीतिक समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम अपने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ वाराणसी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती में हिस्सा लेकर दोनों देशों के बीच के पारंपरिक सांस्कृतिक संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ा। दोनों नेताओं ने दिल्ली में अपनी शिखर वार्ता के बाद वाराणसी की यात्रा की। वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है।
जलवायु परिवर्तन पर एेतिहासिक समझौते की समय सीमा से दो दिन पहले वार्ताकारों ने एक नया और छोटा मसौदा जारी किया है जिसमें सभी महत्वपूर्ण प्रगतियों और मतभेदों को शामिल किया गया है। हालांकि यह मसौदा भी जटिल मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने में नाकाम रहा है।
व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर हुई बातचीत में इस सप्ताह जलवायु परिवर्तन पर एक मजबूत समझौता हासिल करने के लिए अपनी निजी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
26/11 के मुंबई हमलों के सात साल बाद भारत और पाकिस्तान के बीच गतिरोध खत्म हुआ है और दोनों देश व्यवस्थित तरीके से बातचीत को तैयार हो गए हैं। हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन के लिए पाकिस्तान गईं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि दोनों देशों ने समग्र वार्ता शुरू करने का फैसला ले लिया है। इस घटनाक्रम को सुषमा स्वराज की पाकिस्तान यात्रा की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। अगले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान जाएंगे।
पाकिस्तान के इस्लामाबाद में मंगलवार को पांचवें ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन की शुरूआत हुई। इस सम्मेलन में बुधवार को होने वाली मंत्री स्तरीय बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शिरकत करेंगी। इस क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्देश्य सुरक्षा चुनौतियों में सहयोग बढ़ाना और क्षेत्र में संपर्क को बढ़ावा देना है।
पेरिस में आयोजित जलवायु सम्मेलन से इतर भारत ने एक बहुचर्चित ‘सौर गठबंधन' की घोषणा कर दी। ऊर्जा की जरुरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा उप्लब्ध करवाने की दिशा में काम करने का यह बडा न्यौता उन 121 देशों के लिए है, जहां सूर्य का प्रकाश पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहता है। इस परियोजना में सरकार की योजना शुरुआती पूंजी के रुप में 400 करोड रुपए डालने की है।