दिल्ली में शरद पवार और ममता बनर्जी की सक्रियता ने सियासी हलचल तेज कर दी है। शरद पवार आज ममता बनर्जी, मुलायम सिंह यादव और अरविंद केजरीवाल के साथ चाय पर मिल सकते हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि उनके पास जो रिपोर्ट पहुंच रही है उसके अनुसार अगले विधानसभा चुनाव में यूपी में उनकी पार्टी के मंत्री बड़ी संख्या में चुनाव हारने जा रहे हैं।
टाटा मोटर्स झारखंड सरकार के साथ मिलकर जमशेदपुर में डाइविंग प्रशिक्षण और शोध केंद्र की स्थापना अगले दो साल के अंदर करने की तैयारी कर रहा है। जहां हर साल तीन हजार लोगों को डाइविंग प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ पंद्रह हजार तक डाइवरों का रिफ्रेशर कोर्स भी आयोजित किया जाएगा।
ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने सोच लिया है कि संसद में विपक्षी दलों के हंगामे के बावजूद जरूरी विधायी कार्य निपटाएगी। इसकी एक बानगी शुक्रवार को लोकसभा में देखने को मिली जब कांग्रेस, वामदलों एवं कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बावजूद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकसभा की कार्यवाही स्थगित नहीं की और प्रश्नकाल का संचालन होता रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौर के दिन ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लंबी मुलाकात कर भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने राज्य की राजनीति में खलबली मचा दी है।
जनता दल यूनाइटेड के बागी विधायक अब भारतीय जनता पार्टी का गुणगान कर रहे हैं। तकनीकी कारणों से भाजपा में शामिल न हो पाने के कारण ये विधायक जदयू के साथ बने हुए हैं लेकिन भाजपा का प्रचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुज्जफरपुर की रैली को सफल बनाने के लिए जदयू के बागी विधायकों ने पूरा जोर लगाया और यहां तक की रैली में भी शामिल हुए।
इस्पात नगर जमशेदपुर में स्थिति सामान्य होने के बाद शनिवार 25 जुलाई को कर्फ्यू हटा लिया गया वहीं दंगा प्रभावित चार थाना क्षेत्रों में सुबह पांच बजे से लेकर शाम आठ बजे तक इसमें ढील दी गई है। एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने बताया कि कहीं से किसी अप्रिय घटना की खबर नहीं है।
आजादी के आंदोलन और कांग्रेस की रणनीति और उससे भी बढ़कर पिछड़ा समुदाय की सत्ता से जुडे रहने की चाहत ने उनको कांग्रेस प्रिय बना दिया। जिन्हें कांग्रेस में जाना अच्छा नहीं लगा, वह वामपंथी, समाजवादी पार्टियों से जुड़ने लगे। हर हाल में बिहार में वोट से जाति का रिश्ता जुड़ गया।
मोदी ने कहा कि अटलजी के वक्त जो काम 6 महीने में पूरा हो जाता, वह पूरा होते-होते 2015 आ गया। अटल सरकार के बाद दूसरी सरकार बनी तो ऐसे रेल मंत्री (लालू ) आए जिन्होंने हमारे काम को रोक दिया।