सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की प्रथा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करके इनका फैसला करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि वह मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक, तलाक हलाला और बहुविवाह की परंपरा कानूनी पहलू से जुड़े मुद्दों पर ही विचार करेगा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह इस सवाल पर विचार नहीं करेगा कि क्या मुस्लिम पर्सनल ला के तहत तलाक की अदालतों को निगरानी करनी चाहिए क्योंकि यह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार तीन तलाक प्रथा को हटाने के लिये बड़ा कदम उठा सकती है। प्रसाद ने गाजियाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महिलाओं की जिंदगी और सम्मान को चोट पहुंचाने वाली इस प्रथा को बंद किये जाने की जरुरत है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि पति या पत्नी, दोनों में से कोई एक केवल इस आधार पर ही परित्याग का फैसला नहीं कर सकता कि ससुराल पहले किसने छोड़ा क्योंकि विवाहित जोड़े में से एक का आचरण दूसरे को अलग रहने के लिए बाध्य कर सकता है।
सभी के लिए एक कानून यानी समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग को 30 हजार से ज्यादा सुझाव मिले हैं। आयोग ने परामर्शपत्र जारी कर 16 सवालों पर जनता की राय मांगी थी जिसमें मुस्लिमों में प्रचलित तीन तलाक और बहु विवाह भी शामिल था। विधि आयोग प्राप्त जवाबों को सारिणीबद्ध कर रहा जिसके बाद उनका अध्ययन और आगे की प्रक्रिया होगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तीन तलाक की प्रथा को क्रूर बताने के बाद महाराष्ट में भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुस्लिम महिलाओं के हित में शरिया कानून में बदलाव करने के लिए अपनी मंजूरी देने की मांग की।
तीन तलाक पर राजनीतिक घमासान के बीच इसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुस्लिम समुदाय से सीधे संवाद में जुट गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से हलफनामा मांगे जाने के बाद से संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी लगातार मुस्लिम धर्म गुरुओं व बुद्धिजीवियों के संपर्क में हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस मुद्दे पर पहली बार धर्म गुरुओं और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात कर उनकी राय जानने की कोशिश की है।
तीन बार तलाक देने की प्रथा पर प्रहार करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि इस तरह से तुरंत तलाक देना नृशंस और सबसे ज्यादा अपमानजनक है जो भारत को एक राष्ट्र बनाने में बाधक और पीछे ढकेलने वाला है। न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि भारत में मुस्लिम कानून पैगम्बर या पवित्र कुरान की भावना के विपरीत है और यही भ्रांति पत्नी को तलाक देने के कानून का क्षरण करती है।
प्रख्यात गीतकार और शायर जावेद अख्तर ने तीन तलाक पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाए जाने की वकालत की है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि यूनिफार्म सिविल कोड को पर्याप्त चर्चा के बाद ही लागू किया जाए। अख्तर ने दिल्ली में एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहा कि वह इस विषय पर वर्षो से बात करते रहे हैं।
मशहूर शायर और पूर्व सांसद जावेद अख्तर ने कहा है कि तीन तलाक की प्रथा तुरंत बंद होनी चाहिए और समान नागरिक संहिता के बारे में सरकार को ड्राफ्ट तैयार कर उसे लोगों के सामने लाकर बहस करानी चाहिए।