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'मुसलमानों को राष्ट्र विरोधी बताने की हो रही है कोशिश'

'मुसलमानों को राष्ट्र विरोधी बताने की हो रही है कोशिश'

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष आबिद रसूल खान ने कहा है कि विधि आयोग की ओर से समान नागरिक संहिता और एक साथ तीन तलाक के मुद्दों पर प्रश्नावली जारी करना मुसलमानों को राष्ट्र विरोधी घोषित करने की कोशिश है।
संविधान के दायरे में होना चाहिए पर्सनल लॉ: जेटली

संविधान के दायरे में होना चाहिए पर्सनल लॉ: जेटली

एक साथ तीन बार तलाक बोलने को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार का विचार स्पष्ट है कि पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में हों और उन्हें लैंगिक समानता एवं सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार के नियमों के अनुरूप होना चाहिए।
नजमा बोलीं, तीन तलाक की हो रही गैर इस्‍लामी व्‍याख्‍या

नजमा बोलीं, तीन तलाक की हो रही गैर इस्‍लामी व्‍याख्‍या

मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने कहा है कि देश में कुछ तबको के द्वारा तीन तलाक परंपरा की गैर इस्लामी व्याख्या की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस्लाम असमानता का धर्म नहीं हैै। उन्‍होंने कहा कि 'तीन तलाक' (लगातार तीन बार तलाक बोल कर वैवाहिक संबंध तोड़ना) की परंपरा की व्याख्या सही ढंग से नहीं की जा रही है। नजमा के अनुसार इस्‍लाम में एक बार में तीन तलाक की कोई संकल्‍पना नहीं है।
भोपाल पांचवां शहर होगा जहां खुलेगी औरत शरीयत अदालत

भोपाल पांचवां शहर होगा जहां खुलेगी औरत शरीयत अदालत

तीन तलाक पर पाबंदी के लिए कानूनी प्रयास कर रहेे भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की फाउंडर चेयरपर्सन जकिया सोमन ने कहा कि उनका संगठन जल्द ही भोपाल में भी औरतों की शरीयत अदालत शुरू करने जा रहा है। अभी ऐसी अदालतें देश में चार स्थानों पर हैं।
मुस्लिम महिला संगठनों की मांग, एक साथ तीन तलाक का विरोध करे सरकार

मुस्लिम महिला संगठनों की मांग, एक साथ तीन तलाक का विरोध करे सरकार

एक साथ तीन तलाक के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में केंद्र सरकार के सख्त रूख अपनाने की संभावना के बीच देश की कुछ प्रमुख मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि सरकार देश की सबसे बड़ी अदालत में इस महिला विरोधी प्रथा का विरोध करे और इस पर रोक सुनिश्चित कराए।
एक साथ तीन तलाक का उच्चतम न्यायालय में विरोध करेगी सरकार

एक साथ तीन तलाक का उच्चतम न्यायालय में विरोध करेगी सरकार

केंद्र सरकार महिला अधिकारों के आधार पर एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था का उच्चतम न्यायालय में विरोध करेगी और इस बात पर जोर देगी कि इस मुद्दे को समान आचार संहिता के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
जावेद अख्‍तर बोले, पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिमों का सबसे बड़ा दुश्‍मन

जावेद अख्‍तर बोले, पर्सनल लॉ बोर्ड मुस्लिमों का सबसे बड़ा दुश्‍मन

तीन तलाक के मुद्दे पर मशहूर गीतकार और शायर जावेद अख्तर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर सीधा हमला किया है। अख्तर ने कहा कि मैं पर्सनल लॉ बोर्ड की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान लॉ बोर्ड ने हलफनामा देकर तीन तलाक को जायज ठहराते हुए कहा था कि कोर्ट पर्सनल लॉ बोर्ड के मामले में दखल नहीं दे सकता है।
फतवा : शौहर ठीक नहीं तो औरत भी दे सकती है तलाक

फतवा : शौहर ठीक नहीं तो औरत भी दे सकती है तलाक

अगर किसी मुस्लिम महिला का पति शराबी है और उसमें कमियां है। वह बीमार या अक्षम है तो मुस्लिम महिला अपने पति को तलाक दे सकती है। लेकिन इसकी शर्त यह है कि वह निकाह के दौरान अपने पति से इस तरह का करारनामा कर लिया हो। शरीयत के हवाले से दरगाह आला हजरत दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम के मुफ्ती सलीम नूरी ने हाल ही में एक फतवा जारी कर यह बात साफ की है और तफवीजे़ तलाक कहे जाने वाले इस हक की शर्तें भी बतायी हैं। अब तक यही आम धारणा थी कि तलाक का हक सिर्फ पति को है महिला तलाक नहीं दे सकती।
कॉमन सिविल कोडः अनुचित तरीके से तलाक पर हो 10 साल की सजा

कॉमन सिविल कोडः अनुचित तरीके से तलाक पर हो 10 साल की सजा

यह समझना कि कॉमन सिविल कोड आ जाएगा तो क्या मुस्लिम औरतों में सुधार आ जाएगा, यह गलत बात है। अभी औरतों की स्थिति बहुत दूभर है, सिर्फ मुस्लिम औरतों की ही नहीं, हिंदुस्तान की ज्यादातर औरतों के साथ मर्द का जो व्यवहार है, बहुत अच्छा नहीं है, तो इसके लिए तो मर्द की सोच बदलने की जरूरत है। यदि कॉमन सिविल कोड आ गया, कानून आ गया, सब कुछ आ गया, लेकिन मर्द की जो गंदी सोच है, उसको भी तो बदलना पड़ेगा, उसकी जहनियत को बदलना पड़ेगा।
तीन बार तलाक बोल कर संबंध तोड़ने को संविधान की कसौटी पर कसा जाए : न्‍यायालय

तीन बार तलाक बोल कर संबंध तोड़ने को संविधान की कसौटी पर कसा जाए : न्‍यायालय

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि मुस्लिम समुदाय में तीन बार तलाक बोल कर वैवाहिक संबंध तोड़ना एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है, जो लोगों के एक बड़े तबके को प्रभावित करता है। इसे संवैधानिक ढांचे की कसौटी पर कसे जाने की जरूरत है। न्यायालय ने पसर्नल लाॅ के मुद्दे की जांच करने पर सहमति जताते हुए यह विचार व्‍यक्‍त किए।
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