स्वचालित राइफलों और विस्फोटकों वाली बेल्ट का इस्तेमाल कर हमलावरों ने राजधानी पेरिस की कम से कम छह जगहों को हत्या के मंजर में तब्दील कर दिया। यह एक आम शुक्रवार की रात थी जो लहूलूहान हो गई। पेरिस के लोगों ने बार-बार इसे जनसंहार का शब्द दिया।
फ्रांस और जर्मनी ने पहले हाफ के दौरान पेरिस के नेशनल स्टेडियम के बाहर दो भीषण धमाकों के बावजूद शुक्रवार को यहां मैत्री फुटबाल मैच पूरा खेला जिसमें मेजबान टीम ने विश्व चैंपियन को 2-0 से हराया। मैच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि ये धमाके भी कल शाम फ्रांसीसी राजधानी में कई जगहों पर हुए विस्फोटों और गोलीबारी का हिस्सा थे।
एक साल से कम समय के अंदर फ्रांस दूसरी बार बड़े आतंकी हमले की जद में आ गया है। शुक्रवार की रात पेरिस में कम से कम छह स्थानों पर हुई गोलीबारी और बम धमाकों में कम से कम 128 लोग मारे गए हैं। हमलों की जिम्मदारी आईएसआईएस ने ली है।
बिहार चुनाव पराजय की जिम्मेदारी तय करने के लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं के बयान का स्वागत करते हुए भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने आज कहा कि हमें जिम्मेदारी तय करने से भागना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, अब जनादेश सामने आ गया है। हम इस शर्मनाक हार से दुखी हैं। हमें जवाबदेही तय करने से भागना नहीं चाहिए।
बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार पर पार्टी में मचा घमासान जारी है। मंगलवार को भाजपा के तीन वरिष्ठ नेताओं ने एक साझा बयान जारी कर कहा है कि पार्टी ने दिल्ली में हुई हार से कोई सबक नहीं सीखा।
अमेरिका में एक भारतीय बुजुर्ग सुरेशभाई पटेल के खिलाफ पुलिस की बर्बरता के मामले में तीन दिनों के मैराथन विचार-विमर्श के बाद जूरी ने आज फिर से सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में गोहत्या की अफवाह के बाद एक ट्रक पर हुए पेट्रोल बम हमले में घायल जाहिद की कल दिल्ली में मौत हो गई। यह खबर पहुंचते ही श्रीनगर में माहौल तनावपूर्ण हो गया है। कई अलगाववादी संगठनों ने बंद का ऐलान किया है। बंद के मद्देनजर कश्मीर के आठ पुलिस थाना इलाकों में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं और कई अलगाववादी नेताओं को नजरबंद किया गया है।
खुलना से ढाका की ओर मैंने जब रवानगी डाली तो दिन के दो बज रहे थे। खुलना से ढाका की दूरी मात्र 132 किलोमीटर है। लेकिन यह 132 किलोमीटर का सफर तय करने में मुझे पूरे नौ घंटे लगे। बीच में गंगा नदी को भी पार करना होता है, जो यहां आकर पद्मा बन जाती है। इस नदी पर कोई पुल नहीं है। बस, ट्रक, रिक्शे, सभी एक बड़े शिप पर सवार होते हैं और फिर उस पार पहुंचा दिए जाते हैं।
कोलकाता से जब भारतीय सीमा के आखरी गांव बॉनगांव में रात रूकी तो कई बार एक ही सवाल पूछा गया, ‘बांग्लादेश क्यों जा रही हैं? वहां तो कुछ नहीं है।’ जवाब में ‘घूमने’ कहने पर लोगों की प्रतिक्रिया ऐसी होती थी जैसे कहना चाह रहे हों, ‘बेवकूफ।’