Advertisement

Search Result : "ढाका हमला"

मोदी सरकार पर करात का निशाना

मोदी सरकार पर करात का निशाना

माकपा के महासचिव प्रकाश कारात ने नरेंद्र मोदी सरकार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा का संयुक्त उपक्रम करार देते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कॉरपोरेट जगत और हिंदुत्ववादी ताकतों के हितों के लिए देश में आक्रामक दक्षिणपंथी अभियान चला रही है।
मांझी के बहाने भाजपा पर मायावती का हमला

मांझी के बहाने भाजपा पर मायावती का हमला

बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने भले ही दलित वोटों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए जीतन राम मांझी के पक्ष में खड़े होने का फैसला लिया हो मगर देश में दलितों की सबसे बड़ी नेता मानी जाने वाली मायावती ने इस कदम के लिए भाजपा और मोदी पर करारा हमला बोला है।
पंसारे को गोली किसने मारी

पंसारे को गोली किसने मारी

महाराष्ट्र के चर्चित कम्यूनिस्ट नेता गोविंद पंसारे पर गोली किसने चलाई। इस बात से अभी पर्दा नहीं उठ पाया है। पंसारे को कोल्हापुर के सागर माल इलाक़े में मोटर साइकिल सवार दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी।
लखवी की जमानत के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित

लखवी की जमानत के खिलाफ अपील पर सुनवाई स्थगित

पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुंबई हमलों के आरोपी जकीउर रहमान लखवी को मिली जमानत के खिलाफ सरकार की अपील पर सुनवाई एक महीने के लिए आज तब स्थगित कर दी जब उसके वकील ने दलील के लिए समय मांगा।
आइएस आतंकियों ने 21 के सर कलम किये

आइएस आतंकियों ने 21 के सर कलम किये

लीबिया में इस्लामिक स्टेट (आइएस) समूह के आतंकियों ने 21 ईसाईयों का सर कलम कर हत्या कर दी है। इस घटना के बाद मिस्र ने आतंवादियों के ठिकानों पर बमबारी शुरू कर दी है। मारे गये लोगों का ताल्लुक कोप्टिक ईसाई समुदाय से है। कुछ दिन पहले इनको बंधक बना लिया गया था।
ईसाई संस्था पर फिर हमला

ईसाई संस्था पर फिर हमला

दिल्ली में अल्पसंख्यक संस्थाओं पर एक के बाद एक हमले हो रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार और दिल्ली पुलिस जबानी जमा ख़र्च के अलावा कुछ नहीं कर रही है। पुलिस अब तक हमलावरों का पता लगाने में नाकाम रही है।
जारी है गांधी पर गोडसे का हमला

जारी है गांधी पर गोडसे का हमला

हिंदुत्ववादी ताक़तें लगातार धार्मिक ध्रुवीकरण को तेज़ करने की कोशिश कर रही हैं। कहीं पुल पर गांधी के हत्यारे गोडसे का नाम लिख कर तो कहीं गांधी पर हमला कर ये ताकतें अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही़ हैं।
कहाँ गए हमारे कार्टून?

कहाँ गए हमारे कार्टून?

कार्टून पर हमले भलेही यूरोपीय देशों में हो रहे हों, लेकिन अपने देश में वह पहले ही मरणासन्न हालत में है. साढ़े तीन दशक पहले जब हमने पत्रकारिता में कदम रखा था तब लगभग हर अखबार में कार्टून छपा करते थे, उन पर चर्चा हुआ करती थी, नामी कार्टूनिस्ट हुआ करते थे. हिन्दी अखबार, जिनकी अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती थी, वहाँ भी दो-दो कार्टूनिस्ट होते थे.
Advertisement
Advertisement
Advertisement