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Search Result : "तेलंगाना जजेज एसोसिएशन"

भाजपा विधायक बोले : दलितों की पिटाई ठीक, गाय को राष्‍ट्र माता का दर्जा दिलाएंगे

भाजपा विधायक बोले : दलितों की पिटाई ठीक, गाय को राष्‍ट्र माता का दर्जा दिलाएंगे

गुजरात के ऊना में दलितों की पिटाई के मुद्देे पर पूरे देश में चर्चा हो रही है। इस संवेदनशील मसले पर भाजपा का रुख एकदम अलग है। तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने दलितों की पिटाई को सही ठहराया है। राजा सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट वीडियो में कहा कि ऊना में दलितों की पिटाई ठीक की गई। उन्‍होंने कहा कि जब तक गोमाता को राष्ट्र माता का दर्जा न दिला दें, वह खामोश नहीं बैठेंगे।
न्याय के पहरेदारों की आवाज

न्याय के पहरेदारों की आवाज

इन दिनों न्याय के पहरेदारों न्यायाधीशों, वकीलों को सत्ताधारियों के समक्ष विभिन्न स्तरों पर आवाज पहुंचानी पड़ रही है। लोकतंत्र, राजतंत्र, सैन्य शासन या कम्युनिस्ट शासन में भी अंतिम दरवाजा न्यायालय का ही होता है।
तेलंगाना का हो अलग हाईकोर्ट

तेलंगाना का हो अलग हाईकोर्ट

तेलंगाना में अलग हाईकोर्ट की चल रही मांग के बीच सोमवार को राज्य से बड़ी संख्या में वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और सांसदों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। राज्य के सांसदों ने कई बार केंद्र सरकार से अलग हाईकोर्ट की गुहार लगाई लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
ओवैसी के खिलाफ याचिका दायर, भाजपा ने की गिरफ्तारी की मांग

ओवैसी के खिलाफ याचिका दायर, भाजपा ने की गिरफ्तारी की मांग

एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने की मांग करते हुए मेरठ की एक अदालत में याचिका दायर की गई है वहीं भाजपा और जदयू ने उनके खिलाफ कार्रवाई तथा तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।
तेलंगाना: 8,000 न्यायिक कर्मी हड़ताल पर, अदालतों में काम ठप

तेलंगाना: 8,000 न्यायिक कर्मी हड़ताल पर, अदालतों में काम ठप

तेलंगाना के आंदोलनरत न्यायाधीशों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए राज्य की विभिन्न अदालतों और न्यायिक विभागों में काम करने वाले करीब 8,000 कर्मी शुक्रवार से बेमियादी हड़ताल पर चले गए। इससे राज्य की अदालतों का कामकाज ठप पड़ गया और मुकदमों में उलझे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
तेलंगाना: हाईकोर्ट ने नौ और न्यायाधीशों को किया निलंबित

तेलंगाना: हाईकोर्ट ने नौ और न्यायाधीशों को किया निलंबित

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच न्यायाधीशों के अस्थायी आवंटन के खिलाफ आंदोलन और तेज हो गया है। हैदराबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अनुशासनहीनता के आधार पर निचली अदालत के नौ और न्यायाधीशों को निलंबित कर दिया जिसके विरोध में राज्य के 200 न्यायिक अधिकारी 15 दिन के लिए सामूहिक अवकाश पर चले गए।
तेलंगाना : 9 जजों का निलंबन नागवार गुजरा, 100 जज सामूहिक अवकाश पर गए

तेलंगाना : 9 जजों का निलंबन नागवार गुजरा, 100 जज सामूहिक अवकाश पर गए

तेलंगाना के करीब 100 जज 9 जजों के निलंबन के मामले पर खफा होकर मंगलवार को 15 दिन के सामूहिक आकस्मिक अवकाश पर चले गए। हैदराबाद हाईकोर्ट ने अनुशासनहीनता के आधार पर 9 न्यायाधीशों को निलंबित कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ तेलंगाना के जज नाराज बताए जा रहे हैं। जजों ने मांग की है कि न्यायाधीशों का निलंबन रद्द किया जाए।
मानवाधिकार विशेषज्ञों की मांग, एफसीआरए को निरस्त करे भारत

मानवाधिकार विशेषज्ञों की मांग, एफसीआरए को निरस्त करे भारत

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत से उस कानून को निरस्त करने का आह्वान किया है, जिसमें गैर-सरकारी संगठनों को मिलने वाले विदेशी अनुदान को रोकने के प्रावधान हैं।
अदालत की नाफरमानी

अदालत की नाफरमानी

कुछ समय पहले दिल्ली उच्च न्यायालय की पार्किंग में काम करने वाले लड़के की आंतों में इन्फेक्शन हुआ। एक नामी अस्पताल में उसका इलाज चला। उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने लड़के को प्रमाणपत्र दिया कि गरीब होने के कारण उसका नि:शुल्क इलाज किया जाए। कुछ समय तक लड़के का इलाज चला लेकिन पैसे न होने के चलते अस्पताल ने इलाज बीच में रोक दिया। लड़के की मौत हो गई। अस्पताल ने बिना फीस अदा किए शव देने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के कुछ वकीलों ने अस्पताल के 5 लाख 70 हजार रुपये अदा किए और अस्पताल से शव लेकर उसके परिजनों के सुपुर्द किया। दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष, यूरोपियन यूनियन में प्रिंसीपल काउंसिल और भारत के पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल एडवोकेट अमरजीत सिंह चंदोक इस घटना का जिक्र करते हुए पूछते हैं, 'जब दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों के यह हाल है तो क्या देश के दूसरे कोने के हालात बताने की जरूरत है?
के. चंद्रशेखर राव की तबियत बिगड़ी और बन गया तेलंगाना राज्य

के. चंद्रशेखर राव की तबियत बिगड़ी और बन गया तेलंगाना राज्य

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव जब अलग राज्य की मांग कर रहे थे उस समय अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई और तत्कालीन संप्रग सरकार को अलग राज्य बनाने का फैसला करना पड़ा। यह दावा पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने अपनी नई किताब ओल्ड हिस्टी एंड न्यू ज्योग्राफी - बाइफरकेटिंग आंध्र प्रदेश में किया गया है।
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