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Search Result : "नरसिम्हा राव"

ईंट भट्टों में जारी बंधुआ मजदूरी

ईंट भट्टों में जारी बंधुआ मजदूरी

आज भी लाखों-करोड़ों लोग गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, इस बात को स्वीकार करते हुए और लोगों में इसके खिलाफ जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से इंग्लैंड 18 अक्टूबर के दिन को दासता विरोधी दिवस के तौर पर मनाता है। इस साल इसमें मुख्य एजेंडा आधुनिक दासता और मानव तस्करी को खत्म करना था। वाक फ्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विश्व के सबसे ज्यादा बधुआ मजदूर हैं और भारत के ईंट भट्टे में बंधुआ मजदूरी करवाई जाती है। भारत को भी अपने तमाम पारंपरिक और आधुनिक गुलामी के तरीकों के विरुद्ध एक दिन समर्पित करना चाहिए।
पुरस्कार लौटाने वालों के समर्थन में राव

पुरस्कार लौटाने वालों के समर्थन में राव

नए अभिनेता जरा मुश्किल से ही राजनीति पर अपनी राय जाहिर करते हैं। लेकिन राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मानित अभिनेता राजकुमार राव ने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने के फिल्म निर्माताओं के फैसले को साहसी कदम बताया है।
राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव की कहानी 'दोपहर का भोजन'

राजेंद्र राव शिक्षा और पेशे से भले ही इंजीनियर रहे हों, मगर उनका मन सदैव साहित्य और पत्रकारिता में ही रमा रहा । तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काफी समय बिताने के बाद अवसर मिलते ही साहित्यिक पत्रकारिता में आ गए। कृतियों में एक उपन्यास, सात कथा संकलन और कथेतर गद्य के बहुचर्चित संकलन उस रहगुजर की तलाश है । संप्रति दैनिक जागरण में साहित्य संपादक।
नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।
शिवसेना ने पढ़े मनमोहन के कसीदे

शिवसेना ने पढ़े मनमोहन के कसीदे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर मीडिया में चाहे जितना शोर हो मगर भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी शिवसेना ने इसे ज्यादा भाव नहीं दिया है। इसके बनिस्पत शिवसेना ने पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव और मनमोहन सिंह की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं। अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने लिखा है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में नरसिंह राव और मनमोहन सिंह के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
कृष्‍णा-गोदावरी का कल हो जाएगा संगम

कृष्‍णा-गोदावरी का कल हो जाएगा संगम

आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू बुधवार को गोदावरी नदी का पानी ‌कृष्‍णा में बहाकर दो नदियों का औपचारिक संगम कराएंगे।
टीआरएस के पूर्व संस्‍थापक सदस्य ने खोला के चंद्रशेखर राव के खिलाफ मोर्चा

टीआरएस के पूर्व संस्‍थापक सदस्य ने खोला के चंद्रशेखर राव के खिलाफ मोर्चा

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के संस्‍थापक सदस्य रहे फरहत इब्राहिम ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इब्राहिम ने राव के परिजनों और सरकार में शामिल दो कैबिनेट मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर मुकदमा चलाए जाने की मांग की है।
‘खुद को मुगल बादशाह समझते थे पूर्व मुख्य न्यायाधीश’

‘खुद को मुगल बादशाह समझते थे पूर्व मुख्य न्यायाधीश’

पटना हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने पिछले हफ्ते सेवानिवृत्त हुए मुख्य न्यायाधीश के बारे में एक खुला पत्र लिखकर उनके विदाई समारोह में जाने से साफ मना कर दिया कि वह ‘मुगल बादशाह’ की तरह काम करते थे और कानून के लिए उनके मन में कोई सम्मान नहीं था।
यूपीएससी परीक्षा में लड़कियों ने मारी बाजी

यूपीएससी परीक्षा में लड़कियों ने मारी बाजी

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सन 2014 सिविल सर्विसेज परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए है। इस बार प्रावीण्य सूची में शुरुआती पांच में से चार लड़कियां है। इन लड़कियों में – पहले स्थान पर ईरा सिंघल, दूसरे पर रेनु राज, तीसरे पर निधि गुप्ता और चौथे स्थान पर वंदना राव ने कब्जा जमाया है। ईरा और निधि गुप्ता दोनों दिल्ली से हैं और वे दोनों ही भारतीय राजस्व विभाग में कार्यरत हैं।
आईसीएचआर पैनलः रोमिला थापर, इरफान हबीब आदि गए, ‘चीन्हो तो जानें’ आए

आईसीएचआर पैनलः रोमिला थापर, इरफान हबीब आदि गए, ‘चीन्हो तो जानें’ आए

जैसे चीजें चल रही हैं, भारतीय अनुसंधान परिषद का नाम जल्द ही भारतीय इतिहास गोलमाल परिषद कर देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले पहचान की एक गड़बड़ी को लें। भारत के गजट में अधिसूचित किया गया कि किन्हीं वी.वी हरिदास को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद का नया सदस्य नियुक्त किया गया है जो ‘कालीकट में इतिहास के प्रोफेसर’ हैं। जब इन हरिदास महाशय ने हिचकते हुए आईसीएचआर फोन करके कहा कि वह इससे बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं, तब पता चला कि यह वह हरिदास नहीं हैं जिनकी अनुशंसा मंत्रालय ने की थी। इतिहास में पीएचडी वी.वी हरिदास मंगलूर विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। लेकिन यह तो कोई दूसरे पी.टी हरिदास थे जिन्हें परिषद के लिए मनोनीत किया गया था हालांकि वह पी.एच.डी नहीं थे।
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