केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज यहां कहा कि केंद्र अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करने के बाद ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने पर कोई निर्णय करेगा।
पश्चिम बंगाल सरकार ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलों को उनके परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में सार्वजनिक कर दिया है। इसके साथ ही उनकी मौत को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। कहा जा रहा है कि सार्वजनिक हुई इन फाइलों से नेताजी के सन 1945 के बाद भी जिंदा होने के संकेत मिलते हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का शहर मेरठ और वहां के कम पढ़े-लिखे बेरोजगार लड़के। वैसे ही जैसे खाली दिमाग शैतान का घर टाइप होते हैं। छोटी मोटी छेड़खानी और गुंडागर्दी से ही जिनका काम चलता है एक दिन उस समूह के लड़के अचानक खुद को एक बड़े गैंग के रूप में पाते हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज एेलान किया कि राज्य के गृह विभाग के पास रखी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलें अगले शुक्रवार से सार्वजनिक की जाएंगी।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमय मौत से जुड़े दस्तावेज हासिल करने के लिए उनके परिजनों ने अब ब्रिटिश सरकार से गुहार लगाई है। नेताजी के परपौत्र सूर्य कुमार बोस ने इस साल अप्रैल में बर्लिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर यह मुद्दा उठाया था। बोस का कहना है कि मोदी से मुलाकात के बाद उन्होंने नेताजी से जुड़ी फाइलों के बारे में एक पत्र भी लिखा था, जिसका अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
फिल्म स्टार ऋषि कपूर ने विवादों में घिरी राधे मां के बारे ट्वीट क्या किया उसके बाद तो सोशल मीडिया पर एक के बाद एक ट्वीट आने लगे। लोग राधे मां के विविध रूप को लेकर चुटकी ले रहे हैं। वहीं ऋषि कपूर ने लिखा कि राधे मां के फोटो पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि लिपिस्टक और गहने देखकर बिना चश्मे के मेरे मित्र बप्पी लहरी की याद आ गई।
सौर उर्जा की लागत कम करने के लिए प्रतिष्ठित एस एन बोस इंस्टीट्यूट ऑफ बेसिक साइंसेज के शोधकर्ता ऐसा विचार लेकर आए हैं, जिसके जरिये सौर पैनलों के निर्माण के लिए सिलिकॉन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।
देश के पहले सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रहस्यमय तरीके से गायब होने से जुड़े दस्तावेज हैं ही नहीं। उन्हें या तो चूहें कुतर गए या वे गुम हो गए।
ज्यादातर भारतीय फिल्म निर्देशक ‘पोस्ट इंटरवेल ब्लू’ यानी मध्यांतर के बाद फिल्म को झुला देने की आदत से पीड़ित रहते हैं। तो कुछ हद तक गुड्डू रंगीला के निर्देशक सुभाष कपूर भी इससे बच नहीं पाए हैं। लेकिन यदि खाप पंचायत के सामने लड़कियों की स्थिति पर एक शानदार तकरीर वाले दृश्य पर विचार किया जाए, आखिरी दृश्य में शोले स्टाइल की लड़ाई और इस तरह के दृश्यों को देखें तो लगता है कि भारतीय दर्शकों के लिए भी यह सब जरूरी है। आखिर बुरा आदमी लहूलुहान हो कर पिटे ही न, उससे परेशान दो लड़कियां हीरो स्टाइल में उसे गोली न मारे तो क्या मजा। आखिर यह मजा ही दर्शकों को सिनेमाघर में खींचता है।