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Search Result : "न्यायमूर्ति एन वी रमन"

रमन राघव, 2.0 होने में थोड़ी सी कसर

रमन राघव, 2.0 होने में थोड़ी सी कसर

रमन राघव 2.0 अनुराग कश्यप स्टाइल की फिल्म है। यानी लंबी स्क्रिप्ट और एडिटिंग से जूझती हुई फिल्म। फिल्म हिचकाले खाती धीरे-धीरे चलती है और लगता है पता नहीं यह खत्म कैसे होगी। यह तो तय है कि यह फिल्म पूरी तरह अनुराग कश्यप के मुरीदों के लिए ही है।
अभी नहीं आए हैं अच्छे दिन: पूर्व न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े

अभी नहीं आए हैं अच्छे दिन: पूर्व न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एन. संतोष हेगड़े का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी प्रयास किए हैं, लेकिन अच्छे दिन अभी नहीं आए हैं। न्यायमूर्ति को लगता है कि भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार को जनता को बताना चाहिए कि वे काला धन वापस लाने का चुनावी वादा पूरा करने में क्यों असमर्थ हैं।
कांग्रेस से बगावत कर अजीत जोगी ने बनाई नई पार्टी

कांग्रेस से बगावत कर अजीत जोगी ने बनाई नई पार्टी

तीन दिनों से चल रही सियासी हलचलों और कयासों के बीच आखिरकार छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने विशाल जनसमुदाय के बीच नई पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस से इस्तीफा दिए बगैर जोगी ने नई पार्टी के गठन की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने उपस्थित समर्थकों से एक फॉर्म के जरिये रायशुमारी भी की। इसके लिए वहां रखी एक पेटी रखकर लोगों से वोट देने की अपील की गई।
कार्यपालिका के विफल होने पर ही न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है: प्रधान न्यायाधीश

कार्यपालिका के विफल होने पर ही न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है: प्रधान न्यायाधीश

भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने कहा है कि न्यायपालिका तभी हस्तक्षेप करती है जब कार्यपालिका अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में विफल हो जाती है।
जोगी बोले, समर्थक चाहते हैं कि कांग्रेस को छोड़ो, नई पार्टी बनाओ

जोगी बोले, समर्थक चाहते हैं कि कांग्रेस को छोड़ो, नई पार्टी बनाओ

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी सूबे में कांग्रेस को और हाशिए में ले जाने के लिए पूरी तरह मैदान में आ चुके हैं। वह प्रदेश में नई पार्टी बनाने जा रहे हैं। उनकी राय हैै कि वह यह सब कार्यकर्ताओं की मांग पर कर रहे हैं। कार्यकर्ता चाहते हैं कि कांग्रेस को छोड़ एक नई पार्टी बनाई जाए और राज्‍य की सत्‍ता में वापसी का प्रयास किया जाए।
निर्भया फंड जुबानी जमाखर्च जैसा, राष्ट्रीय मुआवजा नीति बनाएं: कोर्ट

निर्भया फंड जुबानी जमाखर्च जैसा, राष्ट्रीय मुआवजा नीति बनाएं: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बलात्कार पीड़ितों को पर्याप्त राहत मुहैया कराने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि निर्भया कोष जैसा एक अलग कोष बनाना पर्याप्त नहीं है और यह जुबानी जमाखर्च जैसा है।
छत्तीसगढ़ में 36 लाख परिवारों को निशुल्क खसरा

छत्तीसगढ़ में 36 लाख परिवारों को निशुल्क खसरा

छत्तीसगढ़ में पिछले लगभग एक महीने से जारी लोक सुराज अभियान के दौरान मुख्यमंत्री रमन सिंह ने पाया कि राज्य के किसान और ग्रामीण अपनी जमीन का खसरा-नक्शा लेने के लिए परेशान होते हैं। इसके लिए उन्हें दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के 36 लाख परिवारों को उनकी जमीन का मुफ्त खसरा-नक्शा उपलब्ध कराने का फैसला किया है।
लकीर बड़ी करने में विश्वास : डॉ. रमन सिंह

लकीर बड़ी करने में विश्वास : डॉ. रमन सिंह

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को 12 साल से सत्ता में बने हुए हैं और अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी में दमखम से जुटे हुए हैं। राजनीतिक समीकरणों पर उनकी निगाह है। अरसे से उन्होंने विकास कार्यक्रमों को अपना कारगर हथियार बना रखा है। नक्सली हिंसा के मुकाबले के लिए भी वे जनता से सीधा संवाद और विकास योजनाओं के सूक्ष्म स्तर तक क्रियान्वयन को सटीक फार्मूला मानते हैं। पार्षद से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले रमन सिंह को जनता की नब्ज सटीक तौर पर समझने-परखने वाला नेता माना जाता है। छत्तीसगढ़ में अभी हाल उन्होंने `लोक सुराज यात्रा' का अभियान शुरू किया है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के इलाकों के दौरे में डॉ. रमन सिंह के साथ आउटलुक के समाचार संपादक दीपक रस्तोगी ने लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश :
`चाउर वाले बाबा' की `चौपाल- चौसर'

`चाउर वाले बाबा' की `चौपाल- चौसर'

लोगों की छोटी-छोटी जरूरतों की पूर्ति छत्तीसगढ़ में बड़ा फर्क ला रही है- नक्सल समस्या से लेकर राजनीतिक समीकरण तक में। पढ़ें सरगुजा (छत्तीसगढ़) से आउटलुक की ग्राउंड रिपोर्ट
उत्तराखंडः सस्पेंस कायम, बागी विधायकों पर फैसला 9 मई को

उत्तराखंडः सस्पेंस कायम, बागी विधायकों पर फैसला 9 मई को

उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ अयोग्य घोषित किए गए बागी विधायकों के भाग्य को लेकर अनिश्चितता बरकरार है क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर नौ मई तक अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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