राहुल के अज्ञातवास की पटकथा
कांग्रेस नेतृत्व के पीढ़ीगत बदलाव में अपनी-अपनी जगह सुनिश्चित करने की कोशिशें राहुल गांधी के इस झटकेदार कदम से जाहिर होने लग गईं। दिग्विजय सिंह, पी.सी. चाको, कमलनाथ, चिदंबरम और जयराम रमेश सब अपने-अपने रवैयों के साथ सामने आने लगे। भूमि अधिग्रहण मसले पर पार्टी की नीति के बारे में जयराम रमेश और वीरप्पा मोइली ने बारीकी से अलग-अलग सुर बजाए। अपनी मनमोहन सरकार के दौरान ही नियमगिरि दौरे के समय से राहुल गांधी उद्योग हित में भू-अधिग्रहण मसले पर जिस नजरिये के साथ मुखर हुए थे उसका नतीजा था 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून। हालांकि संप्रग सरकार के कई मंत्री उससे सहमत नहीं थे। उसे संशोधित करने के लिए लाए गए मोदी सरकार के अध्यादेश और फिर उसे स्थायी कानून बनाने के लिए तैयार नए विधेयक के प्रति भी उनका विरोध और इसे लेकर आंदोलन करने का उनका इरादा भी जगजाहिर था।