शहर के कुछ विशेष रूप से सक्षम लोग अड़चनों को पार करके हाथी के मल से पारिस्थितिकी के लिहाज से अनुकूल कागज बनाकर कमाई कर रहे हैं और इस कागज की अच्छी मांग है खासतौर पर विदेशी पर्यटकों के बीच।
गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी जैसी नदियों की अविरल धारा और निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए जल विशेषज्ञों ने तालाबों, छोटी नदियों को बचाने के कार्य से ग्राम पंचायतों को जोड़ने तथा नदियों को बांधे और जोड़े बिना बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति से बचने का नया विज्ञान खोजने की जरूरत बतायी है।
गोवा भाजपा के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्य मंत्री विल्फ्रेड मेसक्विटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पार्टी की स्थानीय इकाई में चल रहे घटनक्रमों पर अपनी निराशा जाहिर की है और दावा किया कि वे भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहे हैं तथा उनके (प्रधानमंत्री के) उद्देश्यों के खिलाफ काम कर रहे हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए व्यवस्था दी है कि बलात्कार के कारण जन्म लेने वाला बच्चा उसकी मां को मिले किसी भी तरह के मुआवजे से अलग मुआवजे का हकदार है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बाल अधिकार के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्घता जताई और कहा कि इस समस्या का समाधान सभी को मिलकर करना होगा। प्रणब मुखर्जी ने यह बात राष्ट्रपति भवन में आयोजित दो दिवसीय लॉरिएट्स एंड लीडर्स सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कही।
पौधे भी विभिन्न घटनाओं के बीच के तार जोड़कर अपने पर्यावरण के बारे में चीजें सीख सकते हैं। अब तक माना जाता था कि यह क्षमता सिर्फ प्राणियों में ही होती है लेकिन एक नए अध्ययन में पहली बार पौधों के इस खास गुण के बारे में बताया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज इंटरनेशनल सोलर अलायंस (इसा) की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इसके प्रारूप समझौते पर ब्राजील और फ्रांस सहित दुनिया के 20 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर कर दिया है।
इस समय धानकटाई का समय चल रहा है। हालांकि किसान पराली जला तो नहीं सकते हैं लेकिन पंजाब और हरियाणा में जला रहे हैं। पराली जलाने से प्रदूषण होता है, जिससे निकली जहरीली गैस पर्यावरण के साथ-साथ लोगों को भी नुकसान पहुंचाती है। सबसे अहम बात यह है कि इससे हवा में धुंए के बादल बन जाते हैं जो अस्थमा के मरीजों के लिए जानलेवा साबित होते हैं। दिल्ली की हवा में इन दिनों पसरा धुंआ दिवाली के पटाखों और पराली जलाने के परिणाम है।
पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे ने कहा है कि जंगल का जीवंत अस्तित्व है और जंगल अपनी अभिव्यक्ति करता है बशर्ते हममें सुनने की क्षमता हो। तीन महत्वपूर्ण घटक- वन, जनजातीय वनवासी और वन्य जीव एक-दूसरे के पूरक हैं और प्रतिद्वन्द्वीं नहीं है। उन्होंने कहा कि वनों में बड़ी संख्या में पेडों को वनवासियों द्वारा नहीं गिराया जा रहा।