Advertisement

Search Result : "पाम मेहता"

तुम कहीं चहलकदमी पर निकले हो, नहीं?

तुम कहीं चहलकदमी पर निकले हो, नहीं?

राडिया टेप प्रकाशित करके विनोद मेहताने वही किया जो किसी अच्छे संपादक को करना चाहिए। राजनीतिज्ञों, पत्रकार/लॉबीस्टों और उनके कॉर्पोरेट प्रायोजकों के चल रहे समूह-सहवास की गंदी डायरियों को सार्वजनिक करके उन्होंने देश चला रही मित्र (माफिया) मंडली के क्लब नियमों को तोड़ दिया।
हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

विनोद मेहता की कई बातें जो उन्हें अन्य संपादकों से अलग करती थीं, उनमें सबसे बड़ी यह है कि वे लोकतंत्र में सिर्फ यकीन ही नहीं करते थे, उसे पत्रकारिता में भी पूरी तरह अपनाया हुआ था। संपादक के नाम पत्र कॉलम में अपने खिलाफ लिखी चिट्ठियों को भी वे जिस तरह तवज्जो देते थे, उसकी मिसाल शायद ही अन्यत्र मिले।
निर्भीक पत्रकारिता की मशाल का बुझना

निर्भीक पत्रकारिता की मशाल का बुझना

निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता का पालन भारतीय राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक परिस्थितियों में सदा कठिन रहा है। महात्मा गांधी, तिलक या पराड़र और गणेश शंकर विद्यार्थी के युग से तुलना करना उचित नहीं होगा, लेकिन आजादी के बाद भारतीय पत्रकारिता में अलग तरह की चुनौतियां रही हैं। इस दृष्टि से विनोद मेहता ने पिछले 42 वर्षों में भारतीय पत्रकारिता में नए प्रयोगों के साथ निष्पक्ष एवं प्रोफेशनल मानदंड स्थापित किए।
बदली दुनिया सारी ना बदला हिंदुस्तानी

बदली दुनिया सारी ना बदला हिंदुस्तानी

सन 2002 में कौन कल्पना कर सकता था कि अमेरिका में एक अश्वेत नेता राष्ट्रपति बन सकेगा? भारत में किसने सोचा होगा कि गुजरात के घृणित दंगों की पृष्ठïभूमि के बावजूद प्रदेश के नवोदित नेता नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बन सकते हैं?
Advertisement
Advertisement
Advertisement