तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से चुनावी समर में शिकस्त खाने वाले माकपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य लेखनी में भी ममता से पिछड़ गए है। कोलकाता पुस्तक मेले में इस बार जहां ममता की छह पुस्तकें प्रकाशित हुर्इं वहीं बुद्धदेव की केवल एक ही पुस्तक पाठकों के बीच आई।
छत्तीसगढ़ में लोक सुराज अभियान के तहत अति नक्सल प्रभावित पिछड़े गांवों के कायापलट का अभियान शुरू किया गया है। पहले दिन गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अति नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के बासिंग गांव का औचक दौरा किया।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने भाजपा और कांग्रेस पर दलित प्रेम का दिखावा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि दलितों और पिछड़ों को उनका संवैधानिक हक न देने पर आमादा पार्टियों के खिलाफ बसपा को केंद्र और राज्यों में एक राजनीतिक ताकत बनना होगा और साल 2007 की तरह उत्तर प्रदेश में फिर से पूर्ण बहुमत की सरकार बनानी होगी।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री राम शंकर कठेरिया का कहना है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हैं। केद्रीय मंत्री ने कहा कि इनमें अल्पसंख्यकों को विशेष सुविधाएं देकर दलितों, पिछड़ों और अन्य जातियों के छात्र-छात्राओं का हक मारा जा रहा है।
बिहार में चुनावी परिणाम चाहे जो रहे, सरकार चाहे नीतीश कुमार की बने या नरेंद्र मोदी की, इन चुनावों के प्रचार ने राष्ट्रीय राजनीति के कई बंद दरवाजों को खोला है। कई ऐसे समीकरण आए, जिनके बारे में कुछ सालों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। नीतीश और लालू का साथ आना, अति पिछड़ा वर्ग का निर्णायक स्थिति में पहुंचना, तमाम वाम दलों का मिलकर चनाव लड़ना और पहली बार देश के प्रधानमंत्री का किसी राज्य के चुनाव के लिए रिकॉर्ड सभाएं करना। इन तमाम पहलुओं पर बिहार की जनता ने पैनी निगाह रखी और हर पहलू पर जमकर चर्चा हुई। ये बहसें सिर्फ बिहार की धरती तक ही सीमित नहीं रहीं, जहां भी बिहारी हैं, वहां बिहार के राजनीतिक भविष्य पर चिंता हावी रही।
राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के आकांक्षी भारतीय अमेरिकी बॉबी जिंदल हाल के एक सर्वेक्षण में न्यूनतम ढाई फीसदी समर्थन जुटाने में विफल रहे हैं। इसके कारण जिंदल को रिपब्लिकन पार्टी की अगली राष्ट्रीय बहस से हटना पड़ेगा। इसके स्थान पर अब जिंदल (44) कम समर्थन प्राप्त करने वाले तीन अन्य उम्मीदवारों से मुकाबला करेंगे जिसे जूनियर यूनिवर्सिटी बहस कहा जाता है।
बिहार में दो चरण का मतदान होने के बाद मतदान के रुझानों और विभिन्न जातों की गोलबंदी से एक बड़ा सवाल उभर रहा है कि क्या यह विधानसभा चुनाव अगड़ा बनाम पिछड़ा बनता जा रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए नया दांव चला है। भाजपा अब राज्य में पहली बार पार्टी द्वारा गठित ओबीसी मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय कार्यकारिणी का गठन बिहार में करेगा।
बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा में पांच महीने से भी कम के समय को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सवर्ण वोटरों को लुभाने का दांव चला है। नीतीश ने सवर्ण जातियों के गरीब छात्रों की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति और नकद सहायता जैसे कदमों की घोषणा की है।