आम आदमी पार्टी के बागी गुट ने स्वराज संवाद की घोषणा के बाद अपनी रणनीति का खुलासा किया। स्वराज संवाद अभियान शुरू करने के बाद प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पहली दफा मीडिया से रूबरू हुए।
जनता परिवार के विलय का औपचारिक ऐलान तो हो गया लेकिन नए दल का नाम और चुनाव चिन्ह क्या होगा इसको लेकर संशय बरकरार है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में बने नए दल की पहली परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव में होगी जहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। मुलायम ही संसदीय दल के नेता भी होंगे।
जिस समय ये पंक्तियां लिखी जा रही थीं या पढ़ी जा रही होंगी, उस समय भी उत्तर भारत में बुरी तरह मायूस कोई किसान अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहा होगा। अन्नदाता की हालत बुरी है, यह हम सब जानते हैं लेकिन उसकी जीवन की डोर काटने के लिए सिर्फ एक फसल की बर्बादी बहुत है।
बुधवार को दिल्ली में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के घर जनता परिवार के नेताओं की बैठक होगी। जिसमें सभी दलों के विलय को लेकर फैसला किया जाएगा। बैठक में इस बात पर अंतिम फैसला होगा कि जनता परिवार के सभी दलों का नया नाम क्या होगा।
पटना के गांधी मैदान में आयोजित भाजपा के कार्यकर्ता समागम में ही पार्टी नेताओं की अंदरुनी लड़ाई सामने आ गई। एक तरफ पार्टी के एक सांसद नाराज हो गए तो दूसरी ओर स्थानीय सांसद ने समागम में हिस्सा नहीं लिया। इस साल बिहार विधानसभा के चुनाव में जीत की उम्मींद के साथ भाजपा ने अंबेडकर जयंती के अवसर पर कार्यकर्ता समागम का आयोजन किया था जिसमें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई नेताओं ने हिस्सा लिया।
आम आदमी पार्टी के नेतृत्व से नाराज होकर स्वराज संवाद बैठक मेें हिस्सा लेने वाले बागियों पर आज कार्रवाई होगी। इसमें पार्टी के विधायक पंकज पुष्कर पर भी कार्रवाई हो सकती है। क्योंकि पुष्कर पार्टी लाइन के खिलाफ स्वराज संवाद की बैठक में हिस्सा लेने गए थे। आप के कई नेताओं ने एक स्वर में कहा कि जो पार्टी लाइन के खिलाफ काम कर रहे हैं उनके लिए कड़ा कदम उठाया जाएगा चाहे वह कोई भी हो।
आप के बागी गुट ने छेड़ा स्वराज आंदोलन और आम आदमी पार्टी छोड़ने से इनकार किया। आप के असंतुष्टों द्वारा आयोजित स्वराज संवाद ने तीखे तेवरों के साथ यह ऐलान किया गया कि आप किसी एक व्यक्ति की पार्टी नहीं है।
संघ, संजय जोशी को फिर मुख्यधारा में लाने का प्रयास करता रहता है यह सभी जानते हैं। यही वजह है कि एक धड़ा उनसे अच्छे रिश्ते बनाए रखना चाहता है ताकि जब भी बदलाव हो और वह कोई पद संभालें तो उनसे नए सिरे से दोस्ती न शुरू करना पड़े।
असंतुष्ट नेता प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की ओर से बैठक बुलाए जाने से एक दिन पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने पार्टी सदस्यों को चेतावनी दी कि अगर कोई सदस्य बागी खेमे के निमंत्रण को स्वीकार करता है तब पार्टी की शीर्ष निर्णय करने वाली समिति यह तय करेगी कि क्या कार्रवाई की जाएगी।