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Search Result : "पुस्तक समीक्षा"

समीक्षा गब्बर इज बैक

समीक्षा गब्बर इज बैक

अब तो कालिया को पूछना पड़ेगा, ‘तेरा क्या होगा गब्बर?’ पूरी फिल्म देखते हुए लगता है हीरो का नाम गब्बर सिर्फ इसलिए है कि शोले के कुछ कालजयी संवादों को दोबारा कहा जा सके। यह अलग बात है कि यहां गब्बर खलनायक नहीं नायक है
परमाणु हथियारों का जखीरा खत्म हो: ईरान

परमाणु हथियारों का जखीरा खत्म हो: ईरान

ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने मंगलवार को यहां एनपीटी समीक्षा सम्मेलन में कहा, परमाणु हथियार संपन्न देशों ने अपने परमाणु हथियारों को समाप्त करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं की है।
साहित्य अकादेमी में मना विश्व पुस्तक दिवस

साहित्य अकादेमी में मना विश्व पुस्तक दिवस

किताबों की हमारे जीवन में उपस्थिति और उसके महत्व को रेखांकित करते हुए साहित्य अकादेमी ने ‘साहित्य मंच’ के अंतर्गत विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर एक विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े महत्त्वपूर्ण लोगों ने किताबों से अपने रिश्तों को श्रोताओं से साझा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसार भारती के सीईओ श्री जवाहर सरकार ने की।
अजय सिंह की पुस्तक का लोकार्पण

अजय सिंह की पुस्तक का लोकार्पण

अजय सिंह की कविताएं भारतीय लोकतंत्र की विफलता को पूरी शिद्दत से प्रितिबिंबित करती हैं। उनकी कविताओं का मूल स्वर स्त्री, अल्पसंख्यक और दलित हैं।
समीक्षा- मि. एक्स

समीक्षा- मि. एक्स

किसी साधारण बात को खास बनाने की जो भी संभव कोशिश हो सकती है, विक्रम भट्ट ने की है। थ्रीडी चश्मा, गायब होने वाला नायक, अंग्रेजी फिल्मों की तरह मारधाड़, विज्ञान के (कृपया बेतुका पढ़ें) चमत्कार आदि-आदि। फिर भी बेचारे दर्शक को समझ नहीं आता कि छोटे और ग्लैमरस कपड़ों में सिया वर्मा (अमायरा दस्तूर) दरअसल कैसी वाली पुलिस बनी हैं। रघु राठौर (इमरान हाशमी) पता नहीं कैसे सुपरकॉप बनें हैं जो न पहले अपने पुलिसिए बॉस का खुरपेंची दिमाग समझ पाए न बाद में अपनी पुलिसिया गर्लफ्रैंड का। मतलब दो-दो बार धोखा।
समीक्षा- धरम संकट में

समीक्षा- धरम संकट में

भगवान या उनके नुमाइंदों को कटघरे में खड़ा करने वाली यह हाल ही की तीसरी फिल्म है। ओह माय गॉड, पीके के बाद धरम संकट में फिल्म भी श्रद्धा-विश्वास के बीच की रेखा को समझने की कोशिश करती है। वैसे यकीन मानिए यह किसी साधू-संत से ज्यादा परेश रावल की फिल्म है।
फिल्म समीक्षाः डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्‍शी

फिल्म समीक्षाः डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्‍शी

दो साल के अंतराल के बाद दिबाकर बनर्जी अपनी नई फिल्म डिटे‌क्टिव ब्योमकेश बक्‍शी के साथ लोगों के सामने हैं। बनर्जी ने प्रसिद्ध बांग्ला लेखक शार्देंदू बंद्योपाध्याय रचित प्रसिद्ध चरित्र ब्योमकेश बक्‍शी को केंद्र में रखकर दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में उस दौर के कोलकाता और युद्ध के दौरान जापानी सेना के भारत में लगातार बढ़ते अभियान के साथ-साथ चीनी और जापानी ड्रग माफिया की कहानी को एक सस्पेंस थ्रिलर के रूप में पेश किया है।
विनोद मेहता की पुस्तक का लोकार्पण

विनोद मेहता की पुस्तक का लोकार्पण

आउटलुक पत्रिका के संस्थापक संपादक रहे विनोद मेहता की किताब ‘एडिटर अनप्लग्ड’ का यहां एक सादे समारोह में लोकार्पण किया गया। इस दौरान प्रसिद्ध उपन्यासकार विक्रम सेठ ने पुस्तक के कुछ अंश पढ़कर सुनाए।
राहुल का प्रचार अभियान सबसे खराब: पुस्तक

राहुल का प्रचार अभियान सबसे खराब: पुस्तक

सांघवी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक रहस्य करार दिया है। लेखक ने लिखा है, वह बेहद निजी जीवन से निकलकर कांग्रेस को उबारने के लिए आई थीं और दो चुनावों, 2004 एवं 2009, में कांग्रेस की जीत की अगुवाई की। जब यह सब कुछ हो रहा था तो वह कहां थीं? उनका राजनीतिक सहज ज्ञान कहां था? क्या उन्हें यह नहीं दिख रहा था कि कांग्रेस विनाश की ओर बढ़ रही है ? लेखक कहते हैं, इन सवालों का जवाब वास्तव में कोई नहीं जानता है।
दिल्ली पुस्तक मेला: पाठक कम लेखक ज्यादा

दिल्ली पुस्तक मेला: पाठक कम लेखक ज्यादा

विश्व पुस्तक मेले में इस बार हिंदी लेखकों की आमद ने पाठकों को भी पछाड़ दिया है। देश के कोने-कोने से पधारे लेखकों को देख कर लगता है कि हिंदी साहित्य की परंपरा बहुत समृद्ध हो रही है। किताबों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि एक-एक लेखक साल भर में कम से कम पांच किताबें लिखने का माद्दा रखता है।