आंदोलन समाप्त करने के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के सुझाव को दरकिनार करते हुए वन रैंक, वन पेंशन योजना को लागू करने का सरकार पर दबाव बनाने के लिए शुरू किए गए आमरण अनशन में आज एक और वरिष्ठ पूर्व सैनिक शामिल हो गए।
सीबीआई की विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के बांडेर कोयला ब्लाॅक आबंटन में हुई कथित अनियमितताओं संबंधी मामले में पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता और सेवानिवृत्त लोक सेवक एल एस जनोटी की जमानत को मंजूर कर लिया है। इस मामले में निजी पेशी से छूट संबंधी पूर्व कोयला राज्य मंत्री संतोष बगरोडिया की याचिका भी मंजूर कर ली।
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के संस्थापक सदस्य रहे फरहत इब्राहिम ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इब्राहिम ने राव के परिजनों और सरकार में शामिल दो कैबिनेट मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर मुकदमा चलाए जाने की मांग की है।
जंतर-मंतर पर धरना जारी रख सकेंगे पूर्व सैनिक। प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने की पुलिस की कोशिश के व्यापक विरोध को देखते हुए सरकार को देनी पड़ी अनुमति।
पटना हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने पिछले हफ्ते सेवानिवृत्त हुए मुख्य न्यायाधीश के बारे में एक खुला पत्र लिखकर उनके विदाई समारोह में जाने से साफ मना कर दिया कि वह ‘मुगल बादशाह’ की तरह काम करते थे और कानून के लिए उनके मन में कोई सम्मान नहीं था।
गोवा के पूर्व लोकनिर्माण विभाग मंत्री चर्चिल अलेमाओ को लुइस बर्जर रिश्वत मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। अलेमाओ को बुधवार रात करीब साढ़े दस बजे वरका गांव स्थित उनके आवास से ले जाया गया और मध्यरात्रि को अधिकारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस अधीक्षक (अपराध शाखा) कार्तिक कश्यप ने गिरफ्तारी की पुष्टि की लेकिन इसके अलावा कोई जानकारी देने से इन्कार कर दिया।
लुईस बर्जर रिश्वत मामले में गिरफ्तारी की आशंका के चलते गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत ने स्थानीय अदालत में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया है। इस मामले में अपराध शाखा कामत से दो बार पूछताछ कर चुकी है।
30 जुलाई को दो बहुचर्चित जनाजे निकले। एक खुले समुंदर के पास रामेश्वरम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ, तिरंगे में लिपटा। दूसरा, नागपुर केंद्रीय कारावास की कालकोठरी से निकाल फंदे पर झुला कर कब्रिस्तान के लिए रुखसत किया गया। एक सिंहासन चढ़ि चला तो एक बंधा जंजीर। काल की दो लीलाएं। मृत्यु के दो थिएटर। लेकिन एक ही देश के दो नागरिक, एक ही मजहब के दो लोग। हालांकि मृत्यु पूर्व जीवन के दो अलग-अलग रंगमंच। अब्दुल कलाम अपने रंगमंच पर भारतीय राज्य प्रतिष्ठान के हीरो और याकूब मेमन भारतीय राज्य प्रतिष्ठान का मुजरिम तो मुजरिम, विलेन भी। पहले को मौत के बाद भी मुख्यधारा जनमानस और सूचना-प्रचार तंत्र से ‘अमर रहे’ और ‘जिंदाबाद’ की विदाई। दूसरे के लिए मौत के पहले ही उसी मानस और तंत्र से ‘फांसी दो, फांसी दो’ तथा ‘मुर्दाबाद’ की गूंज जिसके आगे न्यायपालिका भी नतमस्तक हो गई।