अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने अपना जन लोकपाल विधेयक सोमवार को विधानसभा में पेश कर दिया। इस बीच स्वराज अभियान ने इस विधेयक के खिलाफ अपना विरोध-प्रदर्शन तेज कर दिया है। इस सिलसिले में कल विधानसभा मार्च के लिए जाते स्वराज अभियान के प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव समेत कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था।
जन लोकपाल बिल को लेकर स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार की ओर से लाया जा रहा जन लोकपाल विधेयक वर्ष 2014 के उस विधेयक से पूरी तरह अलग है, जिसके लिए केजरीवाल ने सत्ता छोड़ने की बात कही थी।
अकाल के कगार पर खड़े बुंदेलखंड में कराए गए एक सर्वेक्षण पर स्वराज अभियान और बुदेलखंड आपदा राहत मंच ने अपनी तरफ से सफाई दी है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा गया था कि बुंदेलखंड के 108 गांव में से 38% गांव से खबर है कि वहां होली से लेकर अब तक भूखमरी या कुपोषण की वजह से मौत हुई है।
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में सात जिलों में हुए सर्वेक्षण में सामने आया है कि यहां के 38 फीसदी गांवों में भूख से एक मौत हुई है। जबकि राज्य सरकार इसे सिरे से खारिज कर रही है। यही नहीं जिस गाय को बचाने के लिए देश में बवाल हो रहा है, बुंदलेखंड के 41 फीसदी लोग गरीबी और भुखमरी के चलते अपनी गायों को छोड़ रहे हैं। यह खुलासा स्वराज अभियान के संयोजक योगेंद्र यादव ने किया। स्वराज अभियान की ओर से बुंदेलखंड के सात जिलों की 27 तहसीलों के 108 गांवों में यह सर्वेक्षण किया गया है।
किताब वापसी अभियान में दो दर्जन कवि, लेखक एवं कलाकारों का एक दल साहित्यकार अशोक वाजपेयी के वसुंधरा इन्क्लेव,दिल्ली स्थित घर पर शनिवार को सुबह पहुंचा। अभियान की तरफ से तीन लोगों का एक प्रतिनिधि मंडल अशोक वाजपेयी से मिला।प्रतिनिधि मंडल में कवि रसिक गुप्त, विनीत पांडेय और छायाकार आत्माराम शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने किताब वापसी अभियान की तरफ से अशोक वाजपेयी की लिखी हुई एक किताब उनके द्वारा अकादेमी पुरस्कार वापसी के प्रतिकात्मक विरोध में उन्हें वापस की।
सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए सभी तरह की करयोग्य सेवाओं पर 0.5 प्रतिशत स्वच्छ भारत सेस वसूलने का फैसला किया है। यह उपकर पहले से लागू 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स के अतिरिक्त होगा। यानी अब कुल मिलाकर 14.5 फीसदी सर्विस टैक्स देना होगा। इससे चालू वित्त वर्ष के बचे महीनों में जनता की जेब पर 400 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
कोई भी समाज ऐसे तंत्र को अनिश्चितकाल तक बनाए नहीं रख सकता जहां कमाई करने वाले व्यक्ति कर चोरी को जीवन का एक तरीका समझें। दुर्भाग्य से विगत में हमारे यहां टैक्स की दर काफी अधिक होने के चलते कर चोरी को प्रोत्साहन मिला। देश जब अपने नागरिकों पर तर्कसंगत दर से टैक्स लगाते हैं तो वे उन्हें ईमानदारी से उनकी आय का खुलासा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।