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सार्क यात्रा: पाकिस्तान पहुंचे जयशंकर

सार्क यात्रा: पाकिस्तान पहुंचे जयशंकर

भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर अपनी सार्क यात्रा के अगले चरण में पाकिस्तान पहुंच गये हैं। भारत की ओर से विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद्द किए जाने के सात महीने बाद जयशंकर आज अपने पाकिस्तानी समकक्ष एजाज अहमद चौधरी से बातचीत करेंगे।
दक्षेस यात्रा से सौहार्द का संदेश

दक्षेस यात्रा से सौहार्द का संदेश

चार मार्च को जयंशकर अफगानिस्तान की यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी की 12 मार्च को शुरू होने वाली मॉरीशस, मालदीव और श्रीलंका की यात्रा में भी जयशंकर उनके साथ होंगे। मार्च महीने में ही वह पुन: नेपाल, श्रीलंका और माल्दीव जाऐंगे। सार्क देशों की अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव उन मुद्दों पर प्रगति का भी जायजा लेंगे जो प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क सक्वमेलन में काठमांडू में उठाए थे। इस सक्वमेलन में ही सार्क सेटेलाइट और क्षेत्रीय विश्वविद्यालय की बात चली थी। वैसे तो विदेश सचिव की सार्क देशों की प्रस्तावित यात्रा को प्रधानमंत्री मोदी की सोची-समझी रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है।
मोदी की अरुणाचल यात्रा से भड़का चीन

मोदी की अरुणाचल यात्रा से भड़का चीन

चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा को लेकर भारत के साथ कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिहाज से यह यात्रा कारगर नहीं है।
ममता के बांग्लादेश दौरे से तीस्ता जल करार की उम्मीद

ममता के बांग्लादेश दौरे से तीस्ता जल करार की उम्मीद

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने राज्य और बांग्लादेश के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए गुरुवार को यहां तीन दिवसीय दौरे पर पहुंची। उनके दौरे से तीस्ता जल बंटवारा करार और भूमि सीमा करार पर आगे बढ़ने की उम्मीदें है। सन 2011 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उनका यह पहला दौरा है।
सतरंगी यात्रा का रोमांच

सतरंगी यात्रा का रोमांच

आली बुग्याल बेदनी से तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर है। खूबसूरती में भी वो बेदनी बुग्याल के उतना ही नजदीक है। कुछ रोमांचप्रेमी घुमक्कड़ आली को ज्यादा खूबसूरत मानते हैं।
सस्ते में भूटान यात्रा

सस्ते में भूटान यात्रा

भूटान की रोमांचक यात्रा का अनुभव रहस्यमय होने के साथ ही किफायती भी है, बशर्ते कि आप योजनाबद्ध तरीके से सैर-सपाटे को निकलते हैं और मोलभाव करते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस देश की यात्रा करते हुए आप कई अद्भुत और रहस्यमयी चीजों से रूबरू हो पाएंगे।
कहाँ गए हमारे कार्टून?

कहाँ गए हमारे कार्टून?

कार्टून पर हमले भलेही यूरोपीय देशों में हो रहे हों, लेकिन अपने देश में वह पहले ही मरणासन्न हालत में है. साढ़े तीन दशक पहले जब हमने पत्रकारिता में कदम रखा था तब लगभग हर अखबार में कार्टून छपा करते थे, उन पर चर्चा हुआ करती थी, नामी कार्टूनिस्ट हुआ करते थे. हिन्दी अखबार, जिनकी अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती थी, वहाँ भी दो-दो कार्टूनिस्ट होते थे.
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