देश में अत्यंत खराब माहौल से उत्पन्न चिंताओं पर कोई आश्वासनकारी बयान न देने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आज 50 से अधिक इतिहासकारों ने आवाज उठाई। दादरी और कलबुर्गी की हत्या जैसी घटनाओं पर लेखकों, कलाकारों, फिल्म निर्माताओं और वैज्ञानिकों के बाद अब देश के इतिहासकारों ने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई ।
भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता से पहला कविता संग्रह-दूसरे दिन के लिए प्रथम कृति प्रकाशन माला के अंतर्गत चयनित एवं प्रकाशित। दूसरा कविता संग्रह-पदचाप के साथ बोधि प्रकाशन, जयपुर से प्रकाशित। कुछ कहानियां भी।
कन्नड़ विचारक एमएम कलबुर्गी की हत्या सहित असहिष्णुता की घटनाओं पर चिंता जताते हुए वैज्ञानिकों के एक समूह ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से उपयुक्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकारों से मानवता विरोधी और सभ्यता विरोधी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील भी की है।
साल 1990 में वी पी सिंह सरकार के पतन के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन चाहते थे कि प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बनें लेकिन राजीव गांधी ऐसा नहीं चाहते थे। वह कुछ और ही सोच रहे थे।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस बात की गंभीर आशंका जताई कि देश में सहिष्णुता और असहमति को स्वीकार करने की प्रवृत्ति समाप्त हो रही है। पिछले पंद्रह दिनों के अंदर यह दूसरा मौका है जब राष्ट्रपति ने सहिष्णुता और बहुलता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि आत्मसात करना भारतीय समाज की विशेषता है। हमारी सामूहिक क्षमता का उपयोग समाज में बुरी ताकतों के खिलाफ संघर्ष में किया जाना चाहिए। दुर्गा पूजा समारोहों की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि सभी सकारात्मक ताकतों के समागम वाली महामाया असुरों और विभाजनकारी ताकतों का नाश कर देंगी।
पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत 30 करोड़ वर्ष पहले नहीं बल्कि कम-से-कम 4.1 अरब वर्ष पहले हुई थी। पूर्व के दस्तावेजों के अनुसार, हमारे ग्रह पर 30 करोड़ वर्ष पहले जीवन की शुरुआत होने की बात कही गई थी लेकिन नये अनुसंधान में नए तथ्य सामने आए हैं।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी फलस्तीन की अल-कुद्स यूनिवर्सिटी को भारत की तरफ से आईटी उपकरण भेंट करने वाले हैं लेकिन इस्राइल भारतीय तोहफे में शामिल चार संचार प्रणालियों को विश्वविद्यालय में ले जाने की इजाजत शायद ही दे जिससे विवाद पैदा हो गया है।
अपनी ही बेटी शीना वोरा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार इंद्राणी मुखर्जी की बीमारी के बारे में जेल प्रशासन ने नया दावा किया है। मुंबई के जेल आईजी ने दावा किया है कि इंद्राणी मुखर्जी दवा की अधिक मात्रा या किसी जहर के कारण बेहोश नहीं हुई थी बल्कि वह अत्यधिक कमजोरी के कारण गिर गई थीं। उन्होंने कहा कि इंद्राणी ने पिछले कुछ समय से दवा लेना बंद कर दिया था और इस तरह से बेहोश होने का उनका पुराना इतिहास रहा है।