साहित्य अकादेमी की ‘राष्ट्रीय भावात्मक एकता: भारतीय भाषा और साहित्य के संदर्भ में’ विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन पर कपिल कपूर ने कहा, भारत का एकत्व ज्ञान की परंपरा के कारण ही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जो भी गड़बड़ी है, डोनाल्ड ट्रंप उसके पोस्टर ब्वाय हैं। हिलेरी की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप ने वाशिंगटन में अपने नए होटल का प्रचार करने के लिए चुनावी प्रचार अभियान से अवकाश लिया है।
देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर लोगों ने आज रावण, उसके बेटे मेघनाद और भाई कुंभकर्ण के पुतले जलाने की परंपरा के साथ दशहरा मनाया। इस बार आतंकवाद और आतंकवादियों के प्रतीक के रूप में भी पुतले जलाए गए। सुरक्षाकर्मियों की पैनी नजर के बीच देशभर में पटाखों से भरे इन पुतलों के दहन के साथ दशहरा का त्यौहार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।
देश के 33 करोड़ लोग सूखे और जल संकट से परेशान हैं, लेकिन शहरों और गांवों तक पहुंचने वाले नेताओं, मंत्रियों के स्वागत-सम्मान में गुलदस्ते, फूलमाला, प्रतीक चिह्न भेंट करने पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज आभूषण व्यवसायियों के समर्थन में जंतर मंतर पहुंचे। केंद्र सरकार के गैर चांदी वाले आभूषणों पर एक प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाए जाने के फैसले के विरोध में प्रदर्शन कर रहे आभूषण कारोबारियों के समर्थन में उतरे कांग्रेस उपाध्यक्ष ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि सरकार का यह कारोबारियों का गला घोंटने का प्रयास है और यह फैसला बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है।
अशोक स्तंभ का जो स्वरुप हमारा राष्ट्रीय चिह्न है, वह अशोक स्तंभ का वास्तविक स्वरुप नहीं है। दरअसल असल अशोक स्तंभ में एक चक्र ऊपर भी था जिसमें 32 तीलियां थीं। जब अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय चिह्न के तौर पर अपनाया जा रहा था तब एक सांसद ने इस ओर नेहरू का ध्यान आकृष्ट भी कराया लेकिन उन्होंने इसकी अनदेखी कर दी थी।
क्या हो यदि सार्वजनिक स्थान पर कचरे को निर्धारित जगह यानी डस्टबिन में डाला जाने लगे। कितना अहमकाना सवाल है। जाहिर है सभी जगह साफ-सफाई रहने लगेगी। लेकिन ऐसा कम ही लोग करते हैं। लेकिन यदि सार्वजनिक स्थानों पर डस्टबिन में कचरा फेंकने के एवज में मुफ्त वाईफाई की सुविधा मिलने लगे तो सोच कर देखिए माहौल कैसा हो जाएगा।
कोलकाता की आलीशान और यूरोपीय बंगाली वास्तुशिल्प की बेजोड़ मिसाल बन चुके पुराने आलीशान मकानों को अंधाधुंध तरीके से ढहाने से बचाने के लिए नए कानून और उपायों की जरूरत को रेखांकित करते हुए प्रख्यात अंग्रेजी लेखक अमित चौधरी का कहना है कि ये महानगर की पहचान हैं और एक समृद्ध संस्कृति को अपने में समेटे हुए हैं। ब्रिटिश काउंसिल और यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजलिया द्वारा आयोजित एक परिचर्चा से इतर 2002 के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता चौधरी ने कहा कि कोलकाता की बहुत सी ऐसी इमारतें समृद्ध वास्तुकला का अद्भुत नमूना हैं।