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Search Result : "प्रदूषण नियंत्रण"

चर्चा: नमामि गंगे पर पहरा | आलोक मेहता

चर्चा: नमामि गंगे पर पहरा | आलोक मेहता

गंगा हिमालय से निकलती है, लेकिन सागर तक पहुंचने में बहुत रोड़े आते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें लगभग तीस वर्षों से गंगा को पवित्र बनाए रखने के लिए हजारों करोड़ खर्च कर चुकी हैं, लेकिन ‘पुण्यलाभ’ नहीं मिल पा रहा है। गंगा अधिक मैली होती गई है। गंगा किनारे बसे शहरों की तरक्की के साथ मोहल्ले का कचरा, मल-मूत्र ही नहीं औद्योगिक बस्तियों के जहरीले रसायनों से गंगा को अपवित्र एवं प्रदूषित किया गया। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार की नमामि गंगे योजना में फंड जारी करने पर रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल इस बात से खफा हुआ कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने गंगा में प्रदूषण से जुड़े सवालों पर स्पष्ट जवाब तक नहीं दिए।
सात दिन में बंद क्यों नहीं कर सकते सम-विषम योजनाः हाईकोर्ट

सात दिन में बंद क्यों नहीं कर सकते सम-विषम योजनाः हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनता को हो रही असुविधा की बात कहते हुए दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार से पूछा है कि वह सम-विषम योजना को एक सप्ताह तक के लिए सीमित क्यों नहीं कर सकती? उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से कहा, आपको यह मानना होगा कि आपके पास जनता को लाने-ले जाने के लिए पर्याप्त सार्वजनिक परिवहन नहीं है।
हर किसी का फेफड़ा खराब नहीं: डॉ. नरेश त्रेहन

हर किसी का फेफड़ा खराब नहीं: डॉ. नरेश त्रेहन

प्रदूषण नियंत्रण को लेकर दिल्ली में जारी सम-विषम गाड़ियों की योजना के बीच चार जनवरी को दिल्ली सरकार द्वारा अखबारों में जारी पूरे पृष्ठ का एक विज्ञापन लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा। यह विज्ञापन दिल्ली सरकार ने देश के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन द्वारा जारी एक तस्वीर को सामने रखकर जारी किया है।
दिल्‍ली में सम-विषम फार्मूला लागू, खूब हुआ पालन

दिल्‍ली में सम-विषम फार्मूला लागू, खूब हुआ पालन

दिल्‍ली काे प्रदूषण से मुक्‍त कराने के लिए वाहनों को एक दिन छोड़कर चलाने का सम-विषम फार्मूला आज से लागू हो गया। प्रदूषण और ट्रैफिक जाम के खिलाफ यह सरकार के साथ-साथ आम जनता की भी अग्निपरीक्षा है, जिसमें दिल्‍ली पास होती नजर आ रही है।
सम-विषम फार्मूला कामयाब, लोगों ने दिल से अपनाया: केजरीवाल

सम-विषम फार्मूला कामयाब, लोगों ने दिल से अपनाया: केजरीवाल

दिल्‍ली काे प्रदूषण मुक्‍त बनाने के लिए वाहनों को एक दिन छोड़कर चलाने की योजना को शुरुआत से ही दिल्‍ली की जनता का भरपूर सहयोग मिल रहा है। जनता तमाम आशंकाओं को दरकिनार करते हुए दिल्‍ली के लोग योजना का बढ़-चढ़कर पालन कर रहे हैं। हालांकि, असली चुनौती सोमवार से शुरू होगी जब सभी लोग छुट्ट‍‍ियों के बाद काम पर लौटेंगे।
सम-विषम योजना ने कैसे बदली दिल्‍ली, बताएंगे ये 10 ट्वीट

सम-विषम योजना ने कैसे बदली दिल्‍ली, बताएंगे ये 10 ट्वीट

दिल्‍ली में आज से लागू हुई सम-विषय योजना को लेकर लोगों में जितना उत्‍साह देखा जा रहा है इसके नतीजे भी उतने ही उत्‍साहवर्धक हैं। पहले दिन ही से दिल्‍ली की सड़कों पर इसका असर दिखने लगा है। लोगों में प्रदूषण कम करने को लेकर काफी जागरूकता देखी जा रही है।
ईवन-ऑड फार्मूले से किन वाहनों को छूट, जानिए 10 खास बातें

ईवन-ऑड फार्मूले से किन वाहनों को छूट, जानिए 10 खास बातें

दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक जनवरी से वाहनों की एक दिन छोड़कर चलाने की ईवन-ऑड योजना का खाका पेश कर दिया है। इस नियम का पालन नहीं करने वाले पर 2 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है जबकि कई तरह के वाहनों को नियम से छूट दी गई है।
एनसीआर में बड़ी डीजल गाड़ियों के पंजीकरण पर रोक समेत कई पाबंदियां

एनसीआर में बड़ी डीजल गाड़ियों के पंजीकरण पर रोक समेत कई पाबंदियां

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से निपटने के लिए सख्त कदम उठाते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज 2000 सीसी से अधिक क्षमता के इंजन वाली डीजल एसयूवी और कारों के दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पंजीकरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है। फिलहाल यह रोक अगले साल 31 मार्च तक के लिए लगाई गई है। इसके अलावा पीठ ने एक और अहम निर्देश देते हुए 2005 से पहले के पंजीकृत वाणिज्यिक वाहनों के दिल्ली में प्रवेश करने पर भी रोक लगा दी है।
वायु प्रदूषण के संघर्ष में दिल्ली अकेला शहर नहीं- ग्रीनपीस

वायु प्रदूषण के संघर्ष में दिल्ली अकेला शहर नहीं- ग्रीनपीस

ग्रीनपीस इंडिया ने देश के 17 शहरों के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचनांक (एनएक्यूआई) से पाए आँकड़ों का विश्लेषण प्रकाशित किया है जिससे स्पष्ट होता है कि दिल्ली के अलावा केन्द्र और कई अन्य राज्य सरकारों को भी अपने शहरों में वायु प्रदूषण के रोकथाम पर तुरंत क़दम उठाने होंगे। जिन 17 शहरों में प्रदूषण के आँकड़े उपलब्ध हैं, उनमें से 15 शहरों में प्रदूषण का स्तर हकीकत से कहीं ज्यादा खतरनाक है। सच तो यह है कि अप्रैल से नवबंर के बीच वायु प्रदूषण के जो आंकड़े एकत्रित किए गए थे वे मानक स्तर से 50 फीसदी अधिक है जिससे वायु प्रदूषण आपदा का संकेत मिलता है।
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