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Search Result : "प्रवासी हिंदी साहित्य"

साहित्य अकादेमी में मना विश्व पुस्तक दिवस

साहित्य अकादेमी में मना विश्व पुस्तक दिवस

किताबों की हमारे जीवन में उपस्थिति और उसके महत्व को रेखांकित करते हुए साहित्य अकादेमी ने ‘साहित्य मंच’ के अंतर्गत विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर एक विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े महत्त्वपूर्ण लोगों ने किताबों से अपने रिश्तों को श्रोताओं से साझा किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसार भारती के सीईओ श्री जवाहर सरकार ने की।
मोदी की हिंदी पाठशाला

मोदी की हिंदी पाठशाला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने गैर हिंदी भाषी सांसदों को हिंदी सिखाने जा रहे हैं। इसके लिए बाकायदा विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी और सप्ताहंत में कक्षाएं लगेंगी। अ से अनार और आ से आम सीखने के लिए कुछ सांसद राजी हैं तो कुछ ‘स्कूल’ आना नहीं चाहते
गुरदासपुर में होगा मराठी साहित्य सम्मेलन

गुरदासपुर में होगा मराठी साहित्य सम्मेलन

पंजाब के गुरदासपुर जिले का गुमान गांव आने वाले दो दिन मराठी भाषियों से गुलजार रहेगा। गुमान में भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का 88 वां संस्करण शुरू हो रहा है। गुमान वही स्थान हैं जहां मराठी संत नामदेव ने अपने जीवन के अंतिम साल गुजारे थे।
व्हॉट्स ऐप पर साहित्यिक चर्चा

व्हॉट्स ऐप पर साहित्यिक चर्चा

स्मार्ट फोन पर इस एप्लीकेशन ने देश-विदेश में बसे साहित्यकारों को मुहैया कराया है एक मंच। इस मंच पर साहित्य अलग तरह से गति पकड़ रहा है। कविता-कहानी और सम सामयिक विषयों पर जोरदार चर्चा से पाठक और लेखक सीधे संवाद स्थापित कर पाते हैं।
हिंदी व्रत और उर्दू रोजा वालों की हो गई

हिंदी व्रत और उर्दू रोजा वालों की हो गई

हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान शायर और फिल्म लेखक जावेद अख्तर ने श्रोताओं से रूबरू होते हुए कई राज जाहिर किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने 1976 तक उन्होंने शायरी शुरू नहीं की थी। उस वक्त वह 31 वर्ष के थे, जबकि इस उम्र में लोग शायरी कर चुके होते हैं। 12 वर्ष की उम्र तक उन्हें सैकड़ों और 15 वर्ष की उम्र तक उन्हें लाख से ज्यादा शेयर याद थे। वह अपने को खुशकिस्मत मानते हैं क्योंकि लखनऊ में अपने ननिहाल में उन्हें अपने मामा मजाज साहब समेत उस दौर के तमाम नामी शायरों का साथ मिला, जिनके साथ वह बच्चों की तरह रहे।
मोदी को विदेश में याद आया हिंदी साहित्य

मोदी को विदेश में याद आया हिंदी साहित्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध बनाने में योगदान के लिए आज मॉरीशस की सराहना की और कहा कि इस भाषा ने विश्व में एक विशेष स्थान हासिल कर लिया है।
साहित्य सम्मेलन क्यों हों

साहित्य सम्मेलन क्यों हों

सन 2014 का ज्ञानपीठ पुरस्कार मराठी लेखक भालचंद्र नेमाड़े को दिया जाएगा। नेमाड़े अपने उपन्यास हिंदू – जगण्याची अड़गळ के लिए जाने जाते हैं। मराठी भाषा में अड़गळ का अर्थ होता है ऐसा कबाड़ जो संभाल कर रखा जाता है। ऐसे कबाड़ को प‌रिभाषित करने वाले नेमाड़े बहुत बेबाकी से बोलते हैं।
साहित्योत्सव 2014

साहित्योत्सव 2014

साहित्य अकादेमी के पुरस्कार समारोह के साथ तीन दिन का साहित्योत्व शुरू हो गया है। देश-विदेश से लेखक और साहित्य में रूचि रखने वाले इस उत्सव में जमा हुए हैं। यह उत्सव हर साल आयोजित होता है, जिसका इंतजार सभी को रहता है।
हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

हिंदी समाज को अच्छी तरह समझते थे विनोद मेहता

विनोद मेहता की कई बातें जो उन्हें अन्य संपादकों से अलग करती थीं, उनमें सबसे बड़ी यह है कि वे लोकतंत्र में सिर्फ यकीन ही नहीं करते थे, उसे पत्रकारिता में भी पूरी तरह अपनाया हुआ था। संपादक के नाम पत्र कॉलम में अपने खिलाफ लिखी चिट्ठियों को भी वे जिस तरह तवज्जो देते थे, उसकी मिसाल शायद ही अन्यत्र मिले।
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