जनता दल यूनाइटेड उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है। जदयू का प्रदेश में भले ही जनाधार कम हो लेकिन प्रदेश में पार्टी की सक्रियता बढ़ गई है। जदयू किसके साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ेगी यह तो अभी तय नहीं है लेकिन चुनावी सरगर्मी बढ़ी हुई है। जदयू के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शरद यादव से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर विस्तार से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
दादरी के अखलाक हत्याकांड में गुरूवार को एक नया मोड़ आ गया जब एक स्थानीय अदालत ने कथित गौकशी के मामले में अखलाक के परिवार के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दे दिया।
उन्होंने शराब तो पी ही, नशे की झोंक में ‘अपने नेता’ नीतीश कुमार के लिए जमकर अपशब्द कहे। कोई उनका वीडियो मोबाइल में बना रहा है- इसका होश भी उन्हें नहीं रहा। वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और बिहार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। नाम है- ललन राम। जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व विधायक। वे औरंगाबाद से 2010-2015 की अवधि में विधायक रहे।
बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरूख खान और अक्षय कुमार विश्व के उन सिलेब्रिटी में शामिल हैं, जिन्होंने वर्ष 2016 में सर्वाधिक कमाई की। फोर्ब्स द्वारा जारी इस सूची में शीर्ष पर अमेरिकी गायिका टेलर स्विफ्ट हैं जिनकी कमाई 17 करोड़ डॉलर रही।
आरपीआई सांसद रामदास आठवले ने मंत्री बनते ही सबसे पहले मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया। एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में आठवले ने कहा कि जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ अन्याय हुआ। उन्होने कहा कि बिना वजह ही कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मामला बना दिया गया जबकि जो आरोप थे वे साबित नहीं हो पाए थे।
जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष और सांसद शरद यादव का कहना है कि उत्तर प्रदेश में जो वर्तमान राजनीतिक समीकरण है उसमें किसी भी दल को पूर्ण बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। आउटलुक से खास बातचीत में यादव ने कहा कि जनता दल यूनाइटेड का चुनाव लड़ना तय है लेकिन किसके साथ गठबंधन होगा अभी यह नहीं है।
सोनेलाल पटेल की बनाई पार्टी अपना दल पर हक को लेकर विवाद शुरू हो गया है। अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल के केंद्रीय मंत्री बनाए जाने से नाराज मां कृष्णा पटेल ने उन्हें पार्टी के बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं अनुप्रिया पटेल का कहना है कि मैं पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं मुझे कोई पार्टी से कैसे निकाल सकता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पहले तो केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में अपने लोगों को जगह दिलवाई और उसके बाद विभागों के बंटवारे में भी उसी की चली। जिन मंत्रियों से आरएसएस को परेशानी थी उनके विभाग बदल दिए गए हैं।
सरकारी अधिकारियों की राजनीतिक प्रतिबद्धता वर्षों से विवाद का मुद्दा रही है। कांग्रेस, कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट, संघ की विचारधाराओं वाली सरकारें रहने पर यह सवाल उठता रहा है कि नौकरीशाही किसी दल, व्यक्ति या विचार से प्रतिबद्ध रहने के बजाय लोकसेवक के रूप में नियम-कानून के अनुसार सरकार-संगठन द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों और आदेशों का क्रियान्वयन करे।