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Search Result : "प्रो. जमशेद सिद्दकी"

नई पीढ़ी को रमजान की रूह के करीब ला रहे हैं मोबाइल ऐप्स

नई पीढ़ी को रमजान की रूह के करीब ला रहे हैं मोबाइल ऐप्स

रमजान के पाक महीने में हाईटेक युवा पीढ़ी के रोजेदारों के लिए मोबाइल टेक्नोलॉजी वरदान साबित हो रही है। मोबाइल एप्लीकेशंस ने उर्दू और अरबी पठन-पाठन के धुंधलाते माहौल की वजह से दीन की बारीकियों से लगभग महरूम हो चुकी नई पीढ़ी को रमजान के फायदों से रूबरू कराने का अच्छा जरिया मुहैया कराया है।
एआईबीए प्रो मुक्केबाजी में कल विकास का सामना कीनिया के अबाका से

एआईबीए प्रो मुक्केबाजी में कल विकास का सामना कीनिया के अबाका से

ओलंपिक में क्वालीफाई करने का अतिरिक्त मौका सुनिश्चित करने को बेताब विश्व चैम्पियनशिप के पूर्व कांस्य पदक विजेता विकास कृष्ण (75 किग्रा) कल अंतरराट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) की प्रो मुक्केबाजी फाइनल नाइट में कीनिया के निकसन अबाका से भिड़ेंगे।
‘तीन’ तिलंगों की समीक्षा

‘तीन’ तिलंगों की समीक्षा

सुजय घोष की फिल्म ‘कहानी’ ने हिंदी थ्रिलर को नया रूप दिया था। कहानी बहुत ‘पेस’ के साथ चलती है। तीन के निर्माता के तौर पर सुजाय रिभू दासगुप्ता को बताना भूल गए होंगे कि वह उनकी छाया से बाहर जाकर भी फिल्म बना सकते हैं।
सूरज के मुखड़े पर कल बिंदिया की तरह चमकेगा बुध ग्रह

सूरज के मुखड़े पर कल बिंदिया की तरह चमकेगा बुध ग्रह

सौर मंडल में 10 साल बाद एक दुर्लभ खगोलीय घटना का संयोग बन रहा है। नौ मई को सूर्य के सामने बुध ग्रह एक काले बिंदु की तरह गुजरता दिखाई देगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक ऐसा अद्भुत नजारा होगा जो नई पीढ़ी खासकर स्कूल एवं कालेज के छात्रों की खगोल जगत के संबंध में कौतुहल को दूर करने के साथ ही उन्हें सौर मंडल की आकाशीय घटना से रूबरू कराएगा।
राजस्थान सरकार ने स्कूली पाठयक्रम से पं नेहरू का जिक्र हटाया

राजस्थान सरकार ने स्कूली पाठयक्रम से पं नेहरू का जिक्र हटाया

भाजपा शासित राजस्थान में कक्षा 8 की नई पाठ्य पुस्तक से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का नाम हटा दिया गया है। पूर्व में प्रकाशित पुस्तक में नेहरू के बारे में लिखा गया था कि बैरिस्टर बनने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और बाद में कांग्रेस के अध्यक्ष बने तथा वह आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री भी बने।
'मोदी, अशोक के बाद दूसरे बड़े शासक’ - प्रो. लोकेश चंद्र

'मोदी, अशोक के बाद दूसरे बड़े शासक’ - प्रो. लोकेश चंद्र

प्रोफेसर लोकेश चंद्र शास्त्रीय यूनानी, लैटिन, चीनी, जापानी, पारसियों की अवेस्ता, पुरानी फारसी और सांस्कृतिक महत्व की अन्य भाषाओं के ज्ञाता हैं। वह संस्कृत, पालि और प्राकृत भाषा के विद्वान हैं। उनके नाम 596 कार्य और पाठ संस्करण हैं। उनमें से तिब्बती-संस्कृत शब्दकोश, तिब्बती साहित्य के इतिहास के लिए सामग्री, तिब्बत का बौद्ध प्रतिमा विज्ञान और 15 खंडों में बौद्ध कला का उनका शब्दकोश जैसी कालजयी कृतियां हैं। उन्होंने बुद्ध और शिव तथा भारत एवं जापान के बीच सांस्कृतिक संगम पर भी लिखा है। फिलहाल वह भारत और चीन के बीच पिछले दो हजार वर्षों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर लिख रहे हैं। लाहौर में पंजाब विश्वविद्यालय से सन 1947 में स्नातकोत्तर करने वाले प्रोफेसर चंद्र भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के अध्यक्ष हैं। साथ ही वह भारतीय संस्कृति की अंतरराष्ट्रीय अकादमी, एशियाई संस्कृतियों के लिए एक प्रमुख अनुसंधान संस्था के मानद निदेशक हैं। वह सन 1974 से 1980 और 1980 से 1986 तक दो अवधियों में लिए राज्यसभा से संसद सदस्य भी रह चुके हैं। प्रोफेसर चंद्र ने आउटलुक की सहायक संपादक आकांक्षा पारे काशिव से देश और प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं पर बात की।
चार नौजवानों की नारेबाजी से नहीं टूटता है देश: आजाद

चार नौजवानों की नारेबाजी से नहीं टूटता है देश: आजाद

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को धर्मनिरपेक्षता को जिंदा रखने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि कुछ नौजवानों की नारेबाजी से नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की ओर से विवाद पैदा करने से देश टूटता है।
राजकोषीय घाटा नहीं, मांग बढ़ाने की चिंता जरूरी: प्रो. अरुण कुमार

राजकोषीय घाटा नहीं, मांग बढ़ाने की चिंता जरूरी: प्रो. अरुण कुमार

जाने-माने अर्थशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर अरुण कुमार देश में मौजूदा आर्थिक हालात को वैश्विक आर्थिक सुस्ती की देन मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि हर सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही चिंतित रहती है और उसी मुताबिक बजट बनाकर किसी लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहती है। इसे वह गलत धारणा मानते हैं। आउटलुक के राजेश रंजन से बातचीत में उन्होंने रोजगार, घरेलु मांग, विकास दर आदि बढ़ाने पर जोर दिया।
हम असहिष्णुता के लिए सहिष्णु हैं – प्रो. सेन

हम असहिष्णुता के लिए सहिष्णु हैं – प्रो. सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफ्रेसर अमर्त्य सेन ने अपने नाम ‘अमर्त्य’ से अपनी बात शुरू करते हुए बताया कि कैसे गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने उनका नाम रखा और अपने चाचा जोतिर्मय सेन के अंग्रेजों की गुलामी के प्रति संघर्ष जारी रखा ताकि देश आजाद हो सके। लेकिन क्या वाकई देश वैसा ‘आजाद’ हुआ है। यह बात उन्होंने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के राजेन्द्र माथुर स्मृति व्याख्यानमाला में कहे। उन्होंने इंडियन पीनल कोड से बात शुरू करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी के संदर्भ में बहुत सी बाते रखीं।
खिड़कियां थिएटर उत्सव

खिड़कियां थिएटर उत्सव

मुंबई में खिड़कियां थिएटर उत्सव की धूम रहती है। रंगमंच के कलाकारों के साथ बॉलीवुड के सितारे में इसमें शामिल होना गर्व समझते हैं।
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