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इंडियाज डॉटर के पक्ष में एडिटर्स गिल्ड

इंडियाज डॉटर के पक्ष में एडिटर्स गिल्ड

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सरकार से बीबीसी के वृतचित्र के प्रसारण पर लगाये गए प्रतिबंध को हटाने की मांग की है। इस वृतचित्र में 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार एचं हत्या के बाद की स्थिति को दर्शाया गया है। गिल्ड ने कहा है कि यह कदम गैर जरूरी था।
श्रमिकों के बीच कंडोम बांटने की सलाह

श्रमिकों के बीच कंडोम बांटने की सलाह

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के निजी उद्योगों से आग्रह किया है कि एड्स की रोकथाम के लिए वह अपने कारखानोंं में काम करने वाले श्रमिकों को कंडोम उपलब्ध कराएं।
चंद सावधानियां बचा सकती हैं स्वाइन फ्लू से

चंद सावधानियां बचा सकती हैं स्वाइन फ्लू से

देश में 600 से ज्यादा लोगों की जान ले चुके स्वाइन फ्लू के फैलने के लिए अनुकूल मौसम के अलावा घनी आबादी भी उतनी ही जिम्मेदार है। हालांकि डॉक्टरों का कहना चंद सावधानियां ही इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए काफी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल कहते हैं कि वह मरीजों को यही सलाह देते हैं कि फ्लू के लक्षण उभरते ही तीन दिनों तक खुद को भीड़भाड़ से दूर रखें, मास्क का इस्तेमाल करें और लोगों से हाथ मिलाने से परहेज करें।
जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्‍ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।
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