बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि केंद्र और राज्य, दोनों जगहों पर बीजेपी की सरकार होने के बावजूद यूपी के लोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राज्य की कई महत्वपूर्ण योजनाओं को मिलने वाले फंड में कमी कर दी है।
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने ‘भीम आर्मी’ पर बयान दिया है। सहारनुपर में हुई हिंसा के बाद चर्चा में आए ‘भीम आर्मी’ को बसपा के साथ जोड़कर देखे जाने का मायावती ने खंडन किया है।
कभी बहुजन समाज पार्टी में कद्दावर नेता रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। उनके बेटे अफजाल को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया दिया है।
यूपी की राजनीति में नसीमुद्दीन सिद्दीकी एक बड़े मुस्लिम नेता माने जाते हैं। यूपी के 2017 विधानसभा चुनावों में बसपा ने उन्हें टिकट बांटने से लेकर अपने स्टार प्रचारकों में शामिल किया था। बसपा सुप्रीमो मायावती ने उनसे सभी बड़े विभाग और अधिकार छीन कर सबको चौका दिया।
केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने शनिवार को दावा किया कि उनकी पार्टी आरपीआई उत्तर प्रदेश में बुरी तरह परास्त हुई बहुजन समाज पार्टी की जगह लेगी।
हिंदू मुस्लिम एकता की प्रतीक अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक मुखिया सईद जैनुल अबेदिन को उनके भाई ने गायों पर दया दिखाने, यानी गौवध और गौमांस की बिक्री पर प्रतिबंध का समर्थन करने के लिए मुखिया पद से हटा दिया। अबेदिन के छोटे भाई सईद अलाउदीन अलीमी ने दावा किया कि उनके इस कदम में उनका परिवार साथ है। उन्हेंने खुद को दरगाह का नया दीवान घोषित कर लिया है। राजस्थान के अजमेर में स्थित यह दरगाह बहुत प्रसिद्ध है और पूरी दुनिया से लोग यहां आते हैं। यहां हिंदू दर्शनार्थियों की संख्या मुस्लिम समुदाय के लोगों के बराबर ही होती है।
यूपी विधानसभा में करारी हार झेल रही बसपा सुप्रीमो मायावती को आगामी दिनों में और झटके लग सकते हैं। मीडिया में खबर है कि लोकसभा और विधानसभा में पार्टी को मिली हार से खिजियाए कुछ असंतुष्ट नेता 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर एक अलग राजनीतिक मंच बना सकते हैं।
बहुजन समाज पार्टी ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से कथित छेड़छाड़ के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। बसपा ने आज कहा कि भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की है और इसलिए हर महीने वह काला दिवस मनाएगी।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत ने राज्य विधानसभा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व को भारी चोट पहुंचाई है। पिछली विधानसभा में जहां इस समुदाय से आने वाले विधायकों की संख्या 68 थी वहीं नई विधानसभा में यह संख्या घटकर सिर्फ 23 रह गई है। यानी करीब दो तिहाई मुस्लिम प्रतिनिधित्व नई विधानसभा में कम हो गया है।