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Search Result : "बाबरी ध्वंस"

चीफ जस्टिस मध्यस्थता करें, तो हम बातचीत को तैयार : बीएमएसी

चीफ जस्टिस मध्यस्थता करें, तो हम बातचीत को तैयार : बीएमएसी

अयोध्या के विवादित स्थल मामले में सभी पक्षों को आपसी बातचीत से मसला सुलझाने के उच्चतम न्यायालय के सुझाव पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी :बीएमएसी: ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश की मध्यस्थता में वह संवाद करने को तैयार हैं, लेकिन पूर्व के अनुभवों को देखते हुए इस मामले का हल आपसी बातचीत से होना मुमकिन नहीं है।
सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाएं राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादः सुप्रीम कोर्ट

सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाएं राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े पक्षों से को सलाह दी है कि वे इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा है और यह बेहतर होगा कि इस मुद्दे को मैत्रीपूर्ण ढंग से कोर्ट से बाहर बात कर सुलझाया जाए। प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर ने कहा कि यदि संबंधित पक्ष उनकी मध्यस्थता चाहते हैं तो वह इस काम के लिए तैयार हैं।
भाजपा नेताओं पर बाबरी का जिन्न फिर मंडराया, कोर्ट का राहत से इनकार

भाजपा नेताओं पर बाबरी का जिन्न फिर मंडराया, कोर्ट का राहत से इनकार

बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत 13 नेताओं पर फिर से आपराधिक साजिश का मामला चल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने ये संकेत देते हुए कहा है कि महज तकनीकी आधार पर इन्हें इस मामले में राहत नहीं दी जा सकती।
कड़ी सुरक्षा में राम लला के दर्शन

कड़ी सुरक्षा में राम लला के दर्शन

अयोध्या के विवावादास्पद ढांचा विध्वंस की 24 वीं बरसी पर यहां कड़ी सुरक्षा में लोग राम लला के दर्शन कर रहे हैं। मंदिर के आसपास सुरक्षा बलों के जवान अतिरिक्त चौकसी बरत रहे हैं। दूसरी ओर देश के कई हिस्सों में बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठन शौर्य दिवस मना रहे हैं तो मुसलमानों से जुड़े संगठनों द्वारा भी विरोध दिवस मनाने की सूचना है।
अयोध्या विवाद के सबसे बुजुर्ग पैरोकार अंसारी के निधन से समाज में दुख की लहर

अयोध्या विवाद के सबसे बुजुर्ग पैरोकार अंसारी के निधन से समाज में दुख की लहर

रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के सबसे उम्रदराज पैरवीकार हाशिम अंसारी के बुधवार को हुए निधन से मुसलमानों और हिन्दुओं समेत पूरे समाज में दुख का माहौल है। विवादित ढांचा विवाद के आखिरी मूल वादी अंसारी ने कभी भी मुद्दे को लेकर सियासत नहीं की। सारी जिंदगी मुकदमे की पैरवी में निकाल देने वाले अंसारी को समाज का हर वर्ग और तबका सम्मान की नजर से देखता था।
‘बाबरी से जुड़े मौजूदा नेता तो उसके मलबे की पैदाइश हैं’

‘बाबरी से जुड़े मौजूदा नेता तो उसके मलबे की पैदाइश हैं’

बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि के सबसे उम्रदराज मुद्दई हाशिम अंसारी बेहद संजीदा व्यक्ति थे। वह ताउम्र सियासत से दूर रहे। बाबरी मस्जिद से जुड़े बाकी लोगों का कहीं न कहीं सियासत से ताल्लुक रहा है। कोई किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है तो कोई हिंदु संस्थाओं से।
बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार 96 वर्षीय हाशिम अंसारी का निधन

बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार 96 वर्षीय हाशिम अंसारी का निधन

बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य पैरोकार हाशिम अंसारी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अंसारी ने अयोध्या के कोटिया में स्थित अपने आवास में बुधवार की सुबह 5 बज कर 30 मिनट पर अंतिम सांस ली। अंसारी 96 वर्ष के थे। उनके बेटे इकबाल अंसारी ने बताया कि उनके पिता हाशिम अंसारी बीते 6 माह से हृदय और सांस की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे।
बाबरी ध्वंस, गुजरात दंगों के कारण अलकायदा से जुड़ रहे युवाः दिल्ली पुलिस

बाबरी ध्वंस, गुजरात दंगों के कारण अलकायदा से जुड़ रहे युवाः दिल्ली पुलिस

पुलिस ने दिल्ली की एक अदालत में कहा है कि वर्ष 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस और वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के कारण भारतीय युवकों का झुकाव अलकायदा की ओर हुआ और ये युवा आतंकी संगठन अलकायदा का भारतीय उपमहाद्वीप में आधार (एक्यूआईएस) बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राम मंदिर का ताला खुलवाना राजीव का गलत निर्णय था : प्रणब

राम मंदिर का ताला खुलवाना राजीव का गलत निर्णय था : प्रणब

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के संस्मरणों पर आधारित किताब, दि टर्बुलेंट ईयर्स:1980-1996 का गुरुवार को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने विमोचन किया। किताब में बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की घटना का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने लिखा कि अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर का ताला खुलवाना प्रधानमंत्री राजीव गांधी का गलत निर्णय था। मुखर्जी ने बाबरी विध्वंस को पूर्ण विश्वासघात करार दिया जिसने भारत की छवि नष्ट कर दी।
‘राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है’

‘राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है’

मैं अयोध्या के बाराबंकी कस्बे का रहने वाला हूं। मैंने अपने इलाके और उसके आसपास कभी राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर नफरत का माहौल नहीं देखा। इस माहौल की शुरूआत दिल्ली से हुई। सन 1947 में हमारी जमीन बंटी और 1992 में हमारे दिल बंट गए। जिस दिन हमारे दिल बंटे, वह दिन हमारे लिए सबसे बदनसीब दिन था। चुनाव जीतने के चक्कर में हमारी नस्लें बरबाद हो गईं। हैरान हूं कि यह लोग अभी भी चैन से नहीं बैठ रहे हैं। आखिर यह इस मुद्दे को कहां ले जाकर छोड़ना चाहते हैं?
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