क्रिकेटर-नेता-मनोरंजन टी.वी. चैनलों के मसखरे नवजोत सिंह सिद्धू का राज्यसभा से इस्तीफा भाजपा से अधिक भारतीय संसद की गरिमा के साथ खिलवाड़ माना जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार अपनी नई पारी की विधिवत शुरूआत अपने ससुराल उन्नाव जाकर करेंगी। लखनऊ से सटा उन्नाव कांग्रेस के बाह्मण नेता रहे उमाशंकर दीक्षित गढ़ रहा है और शीला उनकी बहू हैं। इससे पहले वे प्रदेश के अन्य इलाकों का भी दौरा करेगी।
गुजरात में दलितों की पिटाई के मामले में चौतरफा निशाने पर आई भारतीय जनता पार्टी के लिए इस बार संकट की खबर उत्तर प्रदेश से आई है। प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के एक बयान से प्रदेश के राजनीतिक हलके में हंगामा मच गया है।
नवजोत सिंह सिद्दू के भाजपा छोड़ने के बाद पार्टी को एक और झटका लग सकता है। दिल्ली से भाजपा नेता और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद भी पार्टी छोड़ आप मेंं शामिल हो सकती हैं। पूनम आजाद ने खुद यह संकेत दिए हैं कि वो आप पार्टी का दामन थाम सकती है।
पंजाब में भाजपा के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने जैसे ही राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया वैसे ही अटकलों का दौर तेज हो गया कि सिद्धू पंजाब में आम आदमी पार्टी में शामिल होने वाले हैं। पंजाब में अभी तक विरोधी आप पर यही कहकर हमला भी बोल रहे हैं कि पार्टी के पास मुख्यमंत्री पद के लिए जाट सिख चेहरा नहीं है। सिद्धू की हमनाम पत्नी और भाजपा विधायक नवजोत कौर सिद्धू ने कह भी दिया है कि सिंह सिद्धू को आप जैसी पार्टी सूट करती है। लेकिन आप के दिल्ली स्थित सूत्र बताते हैं कि सिद्धू पंजाब में मुख्यमंत्री पद का चेहरा तो नहीं होंगे लेकिन महत्वपूर्ण प्रचारक होंगे। सिद्धू दंपति ने पंजाब में कोई पहली दफा पार्टी की नींद नहीं उड़ाई है। दोनों शिरोमणि अकाली दल पर आए दिन हमला बोलते रहते हैं। कभी ड्रग्स तस्करी को लेकर तो कभी नौकरियों में घोटालों को लेकर। जबकि पंजाब में अरसे से भाजपा अकाली दल के साथ गठबंधन में हैं।
क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने नवजोत सिंह सिद्धू के भाजपा छोड़ने के बाद आप में शामिल होने की अटकलों के बीच उनकी कुछ वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं जिनमें वह अरविंद केजरीवाल का मजाक उड़ाते दिख रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस अपने दो सांसदों को संसदीय स्थाई समिति से हटवाने जा रही है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के निर्देश पर राज्यसभा के सदस्य केडी सिंह और लोकसभा के सदस्य दिनेश त्रिवेदी को संसदीय समितियों से हटाने की सिफारिश करते हुए राज्यसभा अध्यक्ष एवं लोकसभा स्पीकर को पार्टी की तरफ से चिट्ठियां भेजी गई हैं। अगले एक महीने में विभिन्न संसदीय स्थाई समितियों की मियाद खत्म होने वाली हैं। इन समितियों का पुनर्गठन होना है।
जीवन के सबसे सुनहरे दौर से गुजर रहे पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देना आसान नहीं। प्रधानमंत्री बनने के बाद भाजपा की पहचान उन्हीं से होती है। मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आज सबसे ताकतवर हैं। आज इन्हीं के नाम पर भाजपा चुनाव लड़ती है। कामयाबी का श्रेय भी इन दोनों को मिलता है। दोनों के फैसलों पर शायद ही किसी के पास आवाज उठाने की कूबत है। केंद्र में मोदी सरकार को दो साल हो गए हैं। इस दौरान भाजपा के किसी नेता ने भी मोदी को चुनौती नहीं दी। लेकिन क्रिकेट और बॉलीवुड से आए नेताओं ने मोदी को तवज्जो नहीं दी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला। मंगलवार को केजरीवाल ने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार अपनी घोर तानाशाही प्रवृत्ति के कारण सब कुछ नियंत्रित करना चाहती है।