बंबई उच्च न्यायालय ने गाय, बैल और भैंस के मांस को रखने, उसे लाने-ले जाने और उसके उपभोग पर प्रतिबंध लगाने वाले महाराष्ट्र के हालिया कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इस कानून के अनुसार, इन जानवरों का वध महाराष्ट्र से बाहर करके यहां लाने पर भी प्रतिबंध प्रभावी रहेगा।
गौहत्या पर प्रतिबंध गाय के संरक्षण के बजाय उल्टा गौ-अर्थव्यवस्था पर ही भारी पड़ सकता है। गौ मांस पर पाबंदी की बहस में पशुपालन, मीट उद्योग और पाबंदी के कानूनों की आड़ में फलते-फूलते अवैध कारोबार को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।
भारत में भारत की बेटियों (इंडियाज डॉटर्स) पर बनी फिल्म देखना चाहे तो नहीं देख सकते, इस पर प्रतिबंध है। महाराष्ट्र में कोई गौ-मांस से बनी कोई डिश खाना चाहे, वह नहीं खा सकता, उसे बेचना चाहे नहीं बेच सकता-इस पर प्रतिबंध है। केरल या गुजरात में शराब का सेवन करना चाहे नहीं कर सकते, इस पर प्रतिबंध है।
विचार, कला, लेखन, फिल्म, धर्म, यात्रा, आहार-सब पर पाबंदी यानी पूरा देश ही बन गया पवित्र गौ। यह मत करो, वह मत देखो, यह मत खाओ, वह मत पढ़ो, यह मत पहनो, यहां-वहां मत जाओ, इस तरह की बंदिशें पूरे समाज पर कसी जा रही हैं। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार द्वारा गाय को मारने पर प्रतिबंध लगाए जाने और फिल्म इंडियाज डॉटर पर लगी रोक ने देश भर में खलबली पैदा कर दी।