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Search Result : "भारतीय खेल"

प्रवासी पक्षी , सियासी दाने

प्रवासी पक्षी , सियासी दाने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र में सत्ता संभालने के बाद से प्रवासी भारतीयों पर खास ध्यान रखे हुए हैं। इसकी झलक सात से नौ जनवरी तक गुजरात के गांधीनगर में हुए भव्य प्रवासी सम्मेलन में दिखाई दी। घोषणाएं तो खूब हुईं लेकिन इसके जवाब में प्रवासी निवेश कितना आएगा, इसे लेकर दुविधा ज्यों की-त्यों बरकरार है।
रजनी कोठारी: लोकतंत्र के क्रांतिकारी संदेशवाहक

रजनी कोठारी: लोकतंत्र के क्रांतिकारी संदेशवाहक

आज जब अच्छे दिनों को तरह-तरह के अतिवादी तरीकों से परिभाषित किया जा रहा है। तब रजनी कोठारी की कमी बहुत खलती है। अस्वस्थता, जीवन साथी के न रहने और छह साल पहले बेटे स्मितु कोठारी के न रहने से वह पिछले एक दशक से कुछ नहीं लिख पा रहे थे। लेकिन उनका किया और लिखा इतना है कि कोई भी नई पहल लेने वाला समूह उसमें से अपने लिए पर्याप्त दिशा संकेत खोज सकते हैं।
क्रिकेट किंग और सुपरकिंग्‍स का खेल खत्म

क्रिकेट किंग और सुपरकिंग्‍स का खेल खत्म

श्रीनिवासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने गुगली एवं बाउंसर गेंदबाजी और मजबूत क्षेत्ररक्षण का ऐसा चक्रव्यूह रच दिया कि उनके लिए क्रिकेट की पिच पर अब दिखना ही असंभव हो गया है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)-6 में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग पर मुद्गल समिति की रिपोर्ट की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन और बीसीसीआई के अधिकारियों को क्रिकेट की भाषा में ही कड़ी चेतावनी दी है
खेलो सिर्फ देश की खातिर

खेलो सिर्फ देश की खातिर

नई सरकार के खेल मंत्रालय ने कुछ सख्त नीतियों की पहल की है। अगले आठ वर्षों के दौरान होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने कुछ रणनीतिक योजनाएं तैयार की है। खेल मंत्रालय ने उन सभी खिलाडिय़ों से आह्वान किया है कि अगर सरकारी अनुदान चाहिए तो उन्हें देश के लिए खेलना अनिवार्य होगा। सरकार के इस कदम का भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) ने भी समर्थन किया है।
भारतीय मसालदानी में सिर्फ जीरा

भारतीय मसालदानी में सिर्फ जीरा

दोपहर के खाने में फास्ट-फूड का चलन बढ़ गया है। मैंने कभी नहीं सुना था कि लोग रात के खाने में पिज्जा खा रहे हैं। इसकी एक वजह वक्त की कमी भी है। होम-डिल्वरी सुविधा ने भी रसोईघर से दूरी बढ़ा दी है।
भारतीय राजनीति का बदलता चेहरा

भारतीय राजनीति का बदलता चेहरा

भारतीय राजनीति में पिछले दस-बारह वर्षों में भारी परिवर्तन आया है। मनमोहन सिंह ने अपने वित्त मंत्रीत्व काल में जिस नयी आर्थिक नीति की शुरुआत किया था उसका चक्र उनके प्रधानमंत्रित्व काल में लगभग खत्म हो गया। इन वर्षों में राजनीतिक व्यवस्था के आधारभूत दार्शनिक सिद्वांतों में भारी बदलाव आया।
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