हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज एक अध्यादेश जारी कर मामूली शुल्क की अदायगी पर अनियमित ढांचों के नियमितीकरण और 70 फीसदी तक के विचलन के नियमितीकरण का रास्ता साफ कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संपूर्ण देश में नीट की बाध्यता तुरंत प्रभाव से लागू किए जाने से मेडिकल और डेंटल कॉलेज में प्रवेश के इच्छुक छात्रों पर भारी संकट मंडरा रहा था। केंद्र सरकार द्वारा इसे इस वर्ष पूर्णत: लागू न किए जाने का अध्यादेश उन सबके लिए राहत लेकर आया है।
एक बार फिर मेडिकल प्रवेश परीक्षा पर गंभीर विवाद। पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला। फिर केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश का निर्णय। इसके बाद खबर मिली कि 24 जुलाई को पूर्व निर्धारित संयुक्त प्रवेश परीक्षा को टाला जा सकता है। मेडिकल-डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए लाखों बच्चे हर वर्ष परीक्षा देते रहे हैं।
केंद्र सरकार ने आज से उत्तराखंड के खर्च के प्राधिकार को लेकर एक अध्यादेश जारी किया, जहां राष्ट्रपति शासन लागू है। उत्तराखंड विनियोग (लेखानुदान) अध्यादेश 2016 को कल राष्ट्रपति ने लागू किया था। कांग्रेस पार्टी ने अध्यादेश को असंवैधानिक करार देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक वापस लेने का ऐलान किया है। मोदी सरकार ने संशोधित भूमि अधिग्रहण विधेयक के लिए चार बार अध्यादेश जारी किया, लेकिन इसे संसद में पास नहीं करा सकी। आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और अब यूपीए सरकार के समय बना भूमि अधिग्रहण कानून ही लागू होगा। पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों ने किसानों के मन में भय पैदा करने की कोशिश की लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते थे।
सत्ता, कानून और न्यायालय से क्या आज भी देश के आम नागरिक और समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को न्याय की उम्मीद बंधती है? क्या उसके मौलिक अधिकार समाज के सुविधा संपन्न और रसूखदारों की तरह सुरक्षित हैं? कानूनों के संदर्भ में जब हम आजादी की बात करें तो इस पहलू की गहराई से विवेचना होनी चाहिए। समाज में, नीति-निर्धारकों में जो दो फाड़ है, वह कानून की दुनिया में भी साफ दिखाई देता है।
उच्चतम न्यायालय ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आज केंद्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। यह याचिका अध्यादेश के जरिए फिर से लागू भूमि अधिग्रहण कानून की वैधानिकता को चुनौती देते हुए किसानों के एक संगठन दिल्ली ग्रामीण समाज की ओर से दायर की गई थी। न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ और आदर्श कुमार गोयल की खंडपीठ ने किसानों के संगठन की इस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
मध्य प्रदेश में किसी किसान की जमीन जबर्दस्ती लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हम जानते हैं कि किसान और खेती के बिना हमारा राज्य विकास नहीं कर सकता है। किसान हमारी पहली प्राथमिकता है। आउटलुक से बातचीत के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस तरह जोर देकर यह कहा कि केंद्र के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के तहत उनके राज्य में किसानों के साथ कोई जोर-जबर्दस्ती नहीं की जाएगी, उससे साफ था कि वह किसानों के हिमायती राष्ट्रीय नेता के तौर पर खुद को स्थापित करने की तैयारी में हैं।
भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहें कि भूमि विधेयक उनके लिए जीवन मरण का प्रश्न नहीं है मगर केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार को फैसला लिया कि भूमि अध्यादेश फिर से जारी होगा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को यह अध्यादेश फिर भेजा जाएगा।