फर्जी खबरें रोज नए-नए शिकार खोज लेेेेती हैं। हाल ही में पत्रकार मधु त्रेहान को लेकर खबर आई कि उन्होंने फिल्म बाहुबली में मुस्लिम कलाकारों के नहीं होने पर सवाल उठाया है। इस मुद्देे को लेकर सोशल मीडिया में उनके खिलाफ खूब जहर उगला गया। जबकि त्रेहान का कहना है कि उनके हवाले से गलत बातें फैलाई जा रही हैं।
बसपा प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मिथ्या और भ्रामक प्रचार का आरोप लगाया है। मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की हालत खराब है इसलिए प्रधानमंत्री यह कह रहे हैं कि सपा और बसपा आपस में मिले हुए हैं। मायावती ने कहा कि जैसे भाजपा मिथ्या और भ्रामक प्रचार करती है उसी तरह का प्रचार प्रधानमंत्री कर रहे हैं।
बीते कुछ समय से अस्पताल में भर्ती तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की सेहत को लेकर गलत और भ्रामक जानकारी देने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। तमिलनाडु पुलिस ने अब तक 43 मामले दर्ज किए हैं।
सावधान स्टार हों या नामी खिलाड़ी। कानून का प्रारूप बन गया है। संसद से औपचारिक स्वीकृति के बाद भारी जुर्माना होना तय है। जेल की सजा का प्रस्ताव फिलहाल लटका हुआ है। कारण है- करोड़ों लोगों के दिल-दिमाग को लुभाने वाले कलाकार या खिलाड़ी भ्रामक विज्ञापनों का चेहरा बनकर मार्केटिंग में शामिल होंगे, तो नए कानून के तहत 50 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा और फिर भी ‘अपराध’ जारी रखने पर आजीवन किसी विज्ञापन में नहीं दिखने की सजा दे दी जाएगी।
अगर कोई सेलिब्रिटी भ्रामक विज्ञापन करता है और उससे आम लोगों का नुकसान होता है तो इस सेलिब्रिटी को सजा मिलेगी। केंद्र सरकार ने ऐसा ही मसौदा तैयार किया है जिसके तहत भ्रामक विज्ञापन करने वाली सेलिब्रिटी पर 50 लाख रूपये तक का जुर्माना और पांच साल तक की सजा हो सकती है। इस मसौदे को मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालय पैनल में विचार के लिए रखा जाएगा।
भ्रामक विग्यापन करने वाली हस्तियों यानी सेलिब्रिटी पर जवाबदेही तय करने संबंधी एक नये मसौदा विधेयक पर कल विचार किया जाएगा। इस मसौदे के तहत भ्रामक विज्ञापन करने वाली हस्ती पर 50 लाख रुपये जुर्माने व पांच साल की जेल की सजा रखी जा सकती है।
योग गुरु बाबा रामदेव का पतंजलि आयुर्वेद भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) पर केस करने जा रहा है। एएससीआई ने पतंजलि आयुर्वेद की खिंचाई करते हुए कहा था कि उसके विज्ञापन ‘भ्रामक’ और प्रतिस्पर्धी फर्मों के उत्पादों पर आरोप लगाने वाले हैं।