झारखंड के गिरीडीह जिले में एक मुस्लिम के घर के बाहर मृत गाय मिलने पर बौखलाए गांव वालों ने उस शख्स की खूब पिटाई की। सिर्फ इतना ही नहीं गांव वालों में इतना गुस्सा था कि उन्होंने उस मुस्लिम शख्स के घर को भी जला दिया।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की घनी आबादी वाले इलाके में आतंकवादी रोधी स्क्वाड (एटीएस) के आपरेशन के दौरान आज देर शाम खुलासा हुआ कि जिस मकान की घेराबंदी की गई है उसमें दरअसल दो संदिग्ध आतंकी छुपे हुए हैं। देर रात तक समाचार लिखे जाने तक एनकाउंटर जारी था। उत्तर प्रदेश पुलिस ने केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर ये कार्रवाई की। कानपुर में भी एक संदिग्ध आतंकी पकड़ा गया है और उसके संबंध लखनऊ वाले आतंकियों से हो सकते हैं।
अगर आज महाकवि सूरदास होते तो शायद ‘मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहौं’ की जगह यह लिखते, मैया मैं तो चांद पे घर बनवैहौं। यह कहने की वजह यह है कि अभी ज्यादा दिन बीता है, स्पेस एक्स नाम की एक प्राइवेट स्पेस एजेंसी ने बताया था कि उसने दो लोगों को पर्यटक के तौर पर चांद की धरा की सैर कराने की योजना बनाई है। इस बीच कल दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी ने उससे आगे की रोमांचक खबर सुना दी।
भोपाल के बिल्डरों ने अपने मकान बेचने के लिए अजीब कारनामा कर डाला। विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश की नगरीय प्रशासन मंत्री माया सिंह और भोपाल के महापौर का फोटो छापकर ये बताने की कोशिश की है कि ये मकान सरकार और बिल्डर मिलकर बेच रहे हैं।
रियल एस्टेट की बड़ी कंपनी सुपरटेक दोबारा विवादों में फंस गई है। इसकी 100 करोड़ के एरिया में बनने वाली टाउनशिप सुपरटेक अपकंट्री निरस्त कर दी गई है। यह टाउनशिप यमुना एक्सप्रेस वे में बननी थी। यमुना औद़योगिक विकास प्राधिकरण के दो सीईओ ने पाया कि फर्जी लेटर के जरिए इस टाउन का प्लान पास कराया गया।
जापान के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में गुरुवार की रात आए जबर्दस्त भूकंप से नौ लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं। भूकंप के कारण अनेक मकान ध्वस्त हो गए और कई जगहों पर आग लग गई। राहतकर्मी मलबे में लोगों के दबे होने की आशंका के चलते रातभर राहत एवं बचाव कार्य में लगे रहे। अधिकारियों ने आज बताया कि दहशत के चलते हजारों लोगों के अपने घरों को छोड़कर जाने की खबरें हैं।
दिल्ली के आरके पुरम की झुग्गियों में रहने वाले फिरत ने पांच साल पहले इस उक्वमीद से राजीव आवास योजना के लिए आवेदन किया कि उसे रहने लिए एक घर मिल जाएगा। इसी तरह का दर्द कल्याणपुरी की झुग्गियों में रहने वाले महेश कुमार का है। यह दर्द केवल फिरत और महेश का ही दर्द नहीं है बल्कि दिल्ली के उन 16 लाख से अधिक उन आवेदकों का दर्द है जिनसे आवास के नाम पर पैसा तो जमा करा लिया गया लेकिन न तो ड्रा निकला और न ही आवंटन हुआ।