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Search Result : "मनसुख मंडाविया की कहानी"

निर्भया नहीं मिली…

निर्भया नहीं मिली…

मैं चाहता था कि सब कुछ ऐसा ही रहा आए। वह जानती थी कि कुछ भी ऐसा नहीं रहेगा। वह गीले कैनवास पर अधसूखे रंगों को धीरे से छूती, …कहती, ‘कितने अच्छे हैं, …पर धुंधला जाएंगे।’ मैं आंखें बंद कर कहता, ‘मैं और बना दूंगा, इनसे भी अच्छे, और चटक, और गहरे।’
एक विद्रोही गीत की कहानी

एक विद्रोही गीत की कहानी

देश के राजनीतिक इतिहास में ऐसी घटनायें कम ही सुनने को मिलती हैं कि एक गीत किसी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दे और सरकार को उस गीत और गीतकार के खिलाफ पूरी ताकत झोंकनी पड़ी हो। और आख़िरकार वह गीत ही सरकार का विदाई गीत बन गया हो।
उल्लू न बनाओ

उल्लू न बनाओ

गंगाराम राजी की भ्रष्टाचार की अलग परिभाषा गढ़ती एक कहानी
एक धीमी सी याद

एक धीमी सी याद

उनकी मुंदी आंखों के नीचे अंधेरे की गाढ़ी परत बिछी हुई थी। सरकारी अस्पताल के उस आईसीयू में गुजरे जमाने के मशहूर गवैए उस्ताद इकराम मुहम्मद खान को उनकी जिंदगी आखरी सलामी देने की तैयारी कर रही थी।
अड्डे पर साझा उदासी

अड्डे पर साझा उदासी

अड्डे पर लोग सात बजे शाम से जुटने लगते हैं। साढ़े सात तक प्राय: सभी पहुंच जाते हैं। जो नहीं पहुंच पाता उसकी तलाश शुरू हो जाती है।
जेरेनियम का फूल

जेरेनियम का फूल

अध्यापिका मारिया यीरेमोवना ने कहा कि कक्षा में एक सजीव कोना बनाना है और प्रत्येक छात्र कोई न कोई सजीव वस्तु लाए।
थाली हुई दादी-नानी की कहानी

थाली हुई दादी-नानी की कहानी

बाजार अब रेडी-टू-ईट यानि फटाफट खाद्य पदार्थों से भरा पड़ा है। मुंबई का बड़ा-पाव से लेकर कुछ भी घर लाओ, गरम करो और खाओ। फ्रोजन मार्केट यानि बर्फ में जमाई खाद्य सामग्री का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
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