एक अवॉर्ड समारोह के दौरान अमिताभ बच्चन की बहू और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय जिस अंदाज में बीते दौर की मशहूर अदाकारा रेखा से रूबरू हुईं उसने रेखा और अमिताभ के अफेयर की याद दिला दी।
तेलंगाना के करीमनगर में 28 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने आज खौफनाक तरीके से तलवार से हमला कर अपने माता-पिता और तीन कांस्टेबल समेत 22 लोगों को घायल कर दिया। हालांकि पुलिस की कार्रवाई में वह मारा गया। हमलावर के माता-पिता और एक ऑटो चालक गंभीर हालत में हैं। उसे रोकने की कोशिश करने वाले पुलिसकर्मी भी गंभीर रूप से घायल हो गए। उनका तथा अन्य घायलों का एक स्थानीय अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम अपने जापानी समकक्ष शिंजो आबे के साथ वाराणसी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती में हिस्सा लेकर दोनों देशों के बीच के पारंपरिक सांस्कृतिक संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ा। दोनों नेताओं ने दिल्ली में अपनी शिखर वार्ता के बाद वाराणसी की यात्रा की। वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने उत्तराखंड में गंगा नदी के किनारे कौडियाला से ऋषिकेश तक के समूचे क्षेत्र में कैंपिंग गतिविधियों पर तत्काल रोक लगा दी है। हालांकि फिलहाल एनजीटी ने क्षेत्र में एडवेंचर स्पोर्ट्स राफ्टिंग पर रोक नहीं लगाई है। एक दूसरे निर्णय में एनजीटी ने गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा और उसके आसपास किसी भी प्रकार के प्लास्टिक के इस्तेमाल पर एक फरवरी से पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी है।
संघर्ष का नाम जनकवि रमाशंकर 'विद्रोही' नहीं रहे। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पिछले दो दशकों में आने वाले हजारों छात्र उनकी कविता सुनकर संघर्ष करना सीखे होंगे। 'आसमान में धान बोने वाला' ये निर्भीक कवि संघर्ष करते हुए ही मरा। सोशल मीडिया पर विद्रोही की कविताओं का उत्सव सा जारी है। आंदोलनों में उनकी कविताएं गूंजती रहती हैं लेकिन उनकी चर्चित कविताओं में ‘जब भी किसी गरीब आदमी का अपमान करती है, ये तुम्हारी दुनिया, तो मेरा जी करता है, कि मैं इस दुनिया को उठाकर पटक दूं।’, ‘मैं भी मरूंगा और भारत के भाग्य विधाता भी मरेंगे लेकिन मैं चाहता हूं कि पहले जन-गण-मन अधिनायक मरें, फिर भारत भाग्य विधाता मरें ’, ‘आज तो चाहे कोई विक्टोरिया छाप काजल लगाए या साध्वी ऋतंभरा छाप अंजन लेकिन असली गाय के घी का सुरमा, तो नूर मियां ही बनाते थे...’ , ‘मैं किसान हूं आसमान में धान बो रहा हूं, कुछ लोग कह रहे हैं कि पगले, आसमान में धान नहीं जमा करता, मैं कहता हूं पगले, अगर जमीन पर भगवान जम सकता है तो आसमान में धान भी जम सकता है।..’ सोशल मीडिया पर इस जनकवि को श्रद्धांजलि देने वालों का सैलाब है-
54 वर्षीय सहर नीलोफर पिछले एक साल से रोजाना अपने घर द्वारका से जंतर-मंतर आती हैं। अपना बैनर लगाती हैं और शाम को घर लौट जाती हैं। यहां बैठकर वह प्रधानमंत्री से लेकर अलग-अलग असरदार लोगों को पत्र लिखती हैं। योजना बनाती हैं कि किस प्रकार गालीमुक्त भारत बनाया जा सके। रवानगी में अंग्रेजी भाषा में बात करते हुए नीलोफर कहती हैं ‘ समाज से मां,बहन और बेटी को संबोधित करती गालियां बंद हों।‘ यह महिला इस मुद्दे पर सिंगल वूमन ब्रिगेड की तरह काम कर रही है।
लगान और गंगाजल में काम कर चुकीं अभिनेत्री ग्रेसी सिंह अपने करिअर को लेकर संतुष्ट हैं। उनका मानना है कि वह रचनात्मक भूख मिटाने के लिए अभिनय करती हैं। वरना उनका पहला प्रेम तो शास्त्रीय नृत्य है।
एक गिरजाघर है जो मंदिर सा दिखता है... और मस्जिद सा भी। एक त्यौहार है जो मुगलों के दौर से चला आ रहा है... जी हां , महरौली का हर पत्थर कुछ बोलता है और हिंदुस्तान की नायाब गंगा-जमुनी तहजीब के तराने सुनाता है।
कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद शर्मा ने पीएम मोदी पर सवाल उठाया कि अगर उन्हें अपनी मां की इतनी ही परवाह है तो अपने साथ क्यों नहीं रखते। 12 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के बावजूद पीएम ने उन्हें अपने शपथ-ग्रहण समारोह तक में नहीं बुलाया। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को झूठा करार दिया है कि जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी मां दूसरों के घरों में बर्तन साफ करती थीं।
देश इस समय विभिन्न क्षेत्रों में पतन की राह पर अग्रसर है। धर्मनिरपेक्षता, अनेकता, और भारतीय राष्ट्रीयता को राजनैतिक तौर पर कमजोर किए जाने के अलावा सांस्कृतिक बहुलता और मेलजोल की परंपरा पर भी कुठाराघात हो रहा है।