17 साल की मालविका राज जोशी के पास 10 वीं या 12वीं की स्कूली डिग्रियां तो नहीं हैं लेकिन उनका दाखिला अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी एमआइटी में हो रहा है। दरअसल मालविका कंप्यूटर प्रोग्राम में काफी तेज हैं और उन्हें यह विषय बहुत पसंद है। मालविका की मां एक एेसी महिला हैं जो सर्टिफिकेट से ज्यादा ज्ञान को तवज्जो देती हैं और एक अलग तरह का रास्ता चुनने में यकीन रखती हैं।
कुछ समय पहले दिल्ली उच्च न्यायालय की पार्किंग में काम करने वाले लड़के की आंतों में इन्फेक्शन हुआ। एक नामी अस्पताल में उसका इलाज चला। उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने लड़के को प्रमाणपत्र दिया कि गरीब होने के कारण उसका नि:शुल्क इलाज किया जाए। कुछ समय तक लड़के का इलाज चला लेकिन पैसे न होने के चलते अस्पताल ने इलाज बीच में रोक दिया। लड़के की मौत हो गई। अस्पताल ने बिना फीस अदा किए शव देने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के कुछ वकीलों ने अस्पताल के 5 लाख 70 हजार रुपये अदा किए और अस्पताल से शव लेकर उसके परिजनों के सुपुर्द किया। दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष, यूरोपियन यूनियन में प्रिंसीपल काउंसिल और भारत के पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल एडवोकेट अमरजीत सिंह चंदोक इस घटना का जिक्र करते हुए पूछते हैं, 'जब दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों के यह हाल है तो क्या देश के दूसरे कोने के हालात बताने की जरूरत है?
शंघाई फिल्म महोत्सव में दर्शक तब हैरत में पड़ गए जब सन 90 के दशक के लोकप्रिय गाने तुनक-तुनक-तुन ता रा रा पर जैकी चॉन खुद को नहीं रोक पाए और सोनू सूद के साथ थिरक पड़े।
दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र सच्चर ने गुलबर्ग सोसायटी मामले में गुजरात की एक अदालत के आज आए फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर धब्बा बताया है।
भारत में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक है मुसलमान। मगर सबसे बड़ा यह अल्पसंख्यक संपन्न अल्पसंख्यक नहीं है। उसे 68 साल से लगातार बैसाखियों की जरूरत पड़ती रही है, मगर उसे अक्सर यह बैसाखी या तो टूटी हुई मिली है या मिली ही नहीं। सवा 12 साल पिछले और डेढ़ साल इस सरकार का छोड़ दें तो आजाद भारत करीब 54 साल ऐसे गुजरे हैं जब देश की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही है। सबसे बड़े अल्पसंख्यक मुसलमान को ज्यादातर जो बैसाखी मिली हैं वह इसी कांग्रेस के राज में दी गईं, तो मुसलमान की हालत इतनी खराब क्यों है।