पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर विशेष विमान से दिल्ली से रामेश्वरम ले जाया गया। गुरूवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
27 जुलाई, 2015 दो झटके लेकर आया। पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमला और पूर्व राष्ट्रपति 'मिसाइलमैन’ अब्दुल कलाम का निधन। कलाम का जाना एक दौर का अवसान था जबकि गुरदासपुर हमले की घटना आतंक के एक नए मोर्चे की शुरुआत।
डा. एपीजे अब्दुल कलाम जिस दिन राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे थे उस समय मेरी डयूटी राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा में थी। दिल्ली पुलिस की नौकरी करते हुए मैं बहुत से लोगों की सुरक्षा में रहा लेकिन उस दिन पता नहीं क्यों मुझे लग रहा था कि आज जो आदर्श पुरूष देश के पहले नागरिक रूप में शपथ ले रहे हैं वह लोगों से बिल्कुल अलग हटकर हैं। मेरी अंर्तआत्मा से आवाज आई और कुछ शब्द कविता के रूप मैंने महामहिम डा. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में लिखा।
पीआईबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अशुद्ध हिंदी में दी गई श्रद्धांजलि। इससे सरकार की हिंदी के प्रति सजगता की खुली पोल
हमारे देश के राजनेताओं की नासमझी कभी-कभार बड़ी हास्यास्पद बन जाती है। झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने तो कोडरमा के एक स्कूल कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम को श्रद्धा सुमन ही अर्पित कर दिए।
यह किस्सों का संकलन है। मुजफ्फरपुर बिहार में तवायफों की एक 100 साल से पुरानी बस्ती है चतुर्भुज स्थान, जो बहुत प्रसिद्ध रहा है। उसके 100 साल के इतिहास को जानने-समझने की एक विनम्र कोशिश है यह किताब। इसमें उनके उत्थान के किस्से हैं, उनके पतन की नजीरें हैं।
कोठागोई का एक उद्देश्य है आज की पीढ़ी का परिचय कोठों की उस संस्कृति से करवाना जो कभी तहजीब का केंद्र होता था, बाद में उसका रूप, उसकी पहचान बदलती गई। इसमें उन किरदारों के सुख हैं, दुःख हैं, गीत है, संगीत है जिनको न इतिहास ने याद किया न संस्कृति के अलंबरदारों ने।
इस किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हो रहा है।
गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में आतंकी हमले के इल्जाम से बरी हुए मुफ्ती अब्दुल कयूम ने अपने दर्द को किताब के जरिए बताया है। '11 साल जेल में' शीर्षक से लिखी गई इस किताब में कयूम ने पुलिस प्रताड़ना से लेकर सामाजिक बुराइयों के बारे में विस्तार से लिखा है।