राजस्थान के नागौर जिले के डांगावास गांव में दबंग जाट जाति के एक व्यक्ति की हत्या के बाद में तीन दलितों को ट्रैक्टर से रौंद कर मार डालने की घटना के बाद सामाजिक तनाव गहरा गया है।
गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में आतंकी हमले के इल्जाम से बरी हुए मुफ्ती अब्दुल कयूम ने अपने दर्द को किताब के जरिए बताया है। '11 साल जेल में' शीर्षक से लिखी गई इस किताब में कयूम ने पुलिस प्रताड़ना से लेकर सामाजिक बुराइयों के बारे में विस्तार से लिखा है।
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को विवादास्पद किशोर न्याय कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। संशोधित विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि किशोर न्याय बोर्ड यह निर्णय करेगा कि बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में शामिल 16 वर्ष से अधिक उम्र के किशोर को सुधार गृह में रखा जाये या उस पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाया जाये। इस बारे में बात किए जाने पर वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर का कहना है ‘ यह बहुत ही गलत फैसला है। इसके तहत सिर्फ यह देखा जा रहा है कि जेलें कैसे भरी जाएं, यह नहीं देखा जा रहा कि बालसुधार गृहों में क्या सुधार किए जाएं, बच्चों को सामाजिक माहौल कैसा दिया जाए, उनकी मनोविज्ञानिक चिकित्सा के सिलसिले में क्या किया जाए या उन्हें किस प्रकार की वोकेशल ट्रेनिंग दी जाए।’
पंजाब के मोगा जिले में चलती बस में 14 साल की बच्ची कडंक्टर और उसके दोस्तों की छेड़छाड़ का शिकार हुई। मुखालफत करने पर मां-बेटी को चलती बस से फेंक दिया गया। लड़की की मौके पर मौत हो गई जबकि मां की हालत गंभीर है। अहम बात यह है कि यह बस पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की है।
भारत सरकार ने कहा है कि पत्नी से बलात्कार की अवधारणा भारत में लागू नहीं हो सकती है क्योंकि यहां विवाह को संस्कार माना जाता है। इस तर्क के आधार पर सरकार ने वैवाहिक संबंधों में होने वाले बलात्कार को कानूनन अपराध बनाने से इंकार कर दिया है। इस बारे में गृह राज्य मंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी के बयान से देश में नई बहस छिड़ गई है।
लंबे समय बाद हरियाणा के ब्रांड एंबैसेडर और योग गुरू बाबा रामदेव की दवाएं फिर राज्यसभा में चर्चा का विषय बनीं। जेडी (यू) महासचिव केसी त्यागी ने संसद में कहा कि दिव्य फार्मेसी ‘ पुत्रजीवक बीज ’ के नाम से बेटा पैदा करने की दवा बेचती है। उन्होंने इसपर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, जबकि देश में बेटियां कम होती जा रही हैं।
राजनीतिक नेताओं द्वारा बलात्कार के लिए खुद महिलाओं को दोषी ठहराने की परंपरा में गोवा के मंरी दीपक धावलीकर का नाम भी जुड़ गया है। महिलाविरोधी चिंतन की कितना हावी है कि खुलकर महिला को ही अपने ऊपर होने वाली हिंसा के लिए दोषी ठहराया जाता है।
यह एक ब्रांड की तरह ऐसी छवि बनाता है जिससे मुक्त हो पाना लगभग असंभव है। भारत में तो इससे बाहर निकल पाना और भी मुश्किल है क्योंकि यहां हर पड़ोसी के पास खास निगाहें, कान और जुबान है। जहां देखने वाले रात में खिड़की के पर्दों के पीछे से इंतज़ार करते हैं कि कौन कब घर लौटता है। कौन किससे मिलने आ रहा है। ख़ास तौर पर तब जब घर में कोई दूसरा न हो। बलात्कार की पीड़ा भोग चुके लोग खास तौर पर इसे जानते हैं क्योंकि यह जो भी सकारात्मक या रचनात्मक है उस पर धब्बा लगा देता है। सार्वजनिक कामों में इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। अगर ‘पार्क स्ट्रीट बलात्कार पीड़ित’ की बात की जाए तो तब वह एक जीवंत पार्टीपसंद लड़की थी, जिसे नाइटक्लब पसंद थे। उसने एक छोड़ी की भूल की जिसने उसकी सारी ज़िंदगी बदल दी। वैसे भी जीवंत पार्टीपसंद लड़कियां आधी रात के आसपास सबके निशाने पर होती हैं। ख़ास तौर पर तब संदेहास्पद पहचान वाले शिकारी घूमते रहते हैं।
सामूहिक बलात्कार की शिकार बुजुर्ग नन को शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। पीड़िता के साथ यह घटना पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के रानाघाट स्थित एक कॉन्वेंट में हुई थी।