उत्तर प्रदेश विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री आजम खां द्वारा पूर्व की बसपा सरकार पर चीनी मिलोें को औने-पौने दाम पर बेचने का आरोप लगाये जाने के बाद हंगामा हो गया।
उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा है कि गन्ना किसानों को प्रदेश सरकार ने सर्वाधिक भुगतान किया है। आउटलुक के 1 से 15 फरवरी के अंक में गन्ना किसानों की बदहाली को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें किसानों ने अपना गुस्सा जाहिर किया है।
एक दौर था जब प्रदेश के किसान नकदी फसल गन्ने को अपनी लाठी मानते थे। सूबे की 124 चीनी मिलें सूरसा के मुंह जैसी खेतों की ओर ताकती रहती थीं और दिन रात गन्ने की ही फरमाईश करती थीं मगर अब यह लाठी जैसे टूट गई है और 'सुरसा’ भी न जाने कहां बिला गई है। प्रदेश में गन्ने की फसल को राजनीति का ऐसा घुन लगा है कि खेत, फसल और किसान सब चौपट हो रहे हैं। आलम यह है कि गन्ना उगाने की लागत सवा तीन सौ रुपए क्विंटल आ रही है मगर किसान को मिल रहे हैं मात्र 280 रुपए। वह भी रुला-रुलाकर।
केंद्र सरकार गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य बढ़ाने की बजाय चीनी मिलों को ब्याज मुक्त कर्ज, एक्सपोर्ट ड्यूटी में राहत और एथनॉल पर एक्साइज ड्यूटी में छूट जैसी रियायतें देने वाली केंद्र सरकार ने अब चीनी मिलों को फायदा पहुुंचाने का नया रास्ता निकाला है। अब गन्ना किसानों को सरकार की ओर सीधे सब्सिडी दिए जाने की पहल की जा रही है जो गन्ना किसानों का ध्यान उनके बकाया भुगतान और पिछले कई साल से नहीं बढ़े दाम से हटाने की साजिश है।
भारत को अत्याधुनिक संसद भवन के लिए एक नई इमारत मिल सकती है जिसका प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने दिया है। अध्यक्ष ने कहा है कि वर्तमान 88 साल पुरानी इमारत पर बढ़ती उम्र का असर दिखने लगा है और यह अधिक जगह की बढ़ती मांग को पूरा करने में अब सक्षम नहीं है।
धान की सरकारी खरीद और मिलिंग में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पकड़ी हैं। कैग की रिपोर्ट बताती है कि कैसे धान खरीद की सरकारी प्रणाली राइस मिलों के अनुचित लाभ का जरिया बन गई है। इन कमियों को दूर करने के साथ-साथ कैग ने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान सीधे किसानों के खातों में करने की सिफारिश की है।
धान की सरकारी खरीद और मिलिंग में भारत के नियत्रंक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कई अनियमितताएं पाई हैं। कैग की ओर संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए जिसका एक उदाहरण यहां पेश है।
पेंटागन के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने सांसदों को बताया है कि अफगानिस्तान में सिलसिलेवार आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले तालिबान को पाकिस्तान से धन और साजो सामान का सहयोग मिलता रहा है। वहीं एक शीर्ष अमेरिकी सांसद ने कहा है कि हमें शेष सैन्य पैकेज का इस्तेमाल कुछ इस तरह करना चाहिए ताकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ काम करने के बजाय आतंकवाद की पनाहगाहों के खिलाफ कार्रवाई करने पर विवश हो।