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राजकोषीय घाटा नहीं, मांग बढ़ाने की चिंता जरूरी: प्रो. अरुण कुमार

राजकोषीय घाटा नहीं, मांग बढ़ाने की चिंता जरूरी: प्रो. अरुण कुमार

जाने-माने अर्थशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर अरुण कुमार देश में मौजूदा आर्थिक हालात को वैश्विक आर्थिक सुस्ती की देन मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि हर सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही चिंतित रहती है और उसी मुताबिक बजट बनाकर किसी लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहती है। इसे वह गलत धारणा मानते हैं। आउटलुक के राजेश रंजन से बातचीत में उन्होंने रोजगार, घरेलु मांग, विकास दर आदि बढ़ाने पर जोर दिया।
बजट पूर्व सिफारिशः राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में नरमी बरतें वित्त मंत्री

बजट पूर्व सिफारिशः राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में नरमी बरतें वित्त मंत्री

अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को सरकार को सुझाव दिया कि मौजूदा कठिन हालात में आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए सरकार को अगले वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटे को सीमित करने में ढील देकर सार्वजनिक व्यय बढाने पर विचार कर सकती है।
आर्थिक वृद्धि के अनुमान में सरकार ने की बड़ी कटौती

आर्थिक वृद्धि के अनुमान में सरकार ने की बड़ी कटौती

अभी तक हर मंच पर देश के आर्थिक विकास के बड़े दावे करने वाली सरकार ने अब आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में बड़ी कटौती की है। इसके लिए अब सरकार देश में कमजोर मानसून का हवाला दे रही है हालांकि हाल तक सरकार ये दावा कर रही थी कि कमजोर मानसून से आर्थिक विकास पर बहुत ज्यादा अंतर नहीं पड़ने वाला है।
सरकार को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से परेशानी नहीं: जेटली

सरकार को राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से परेशानी नहीं: जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि वह राजकोषीय घाटे को लेकर चिंतित नहीं हैं तथा सातवें वेतन आयोग को लागू करने के लिए अतिरिक्त व्यय की जरूरतों के बावजूद घाटे को सीमित रखने का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।
दस फीसदी की विकास दर असंभव नहीं : जेटली

दस फीसदी की विकास दर असंभव नहीं : जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भरोसा जताया है कि सरकार की ओर से किए जा रहे आर्थिक सुधारों, नीतिगत बदलावों, बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में धन का प्रवाह बढ़ाने तथा संभावित अच्छे मॉनसून के साथ 10 फीसदी की विकास दर असंभव नहीं है।
राजकोषीय घाटे से जल्द निपटी नई सरकार : जेटली

राजकोषीय घाटे से जल्द निपटी नई सरकार : जेटली

सत्ता में आने के बाद, एक साल से भी कम समय में अब नई सरकार देश की सबसे अहम आर्थिक समस्याओं एवं कम लागत में कारोबार शुरु करने जैसे मुद्दों से निबटने को तैयार है।
सुधार नीतियों से तय होगी भारत की साख-मूडीज

सुधार नीतियों से तय होगी भारत की साख-मूडीज

सरकार द्वारा वृद्धि को प्रोत्साहित करने और राजकोषीय एवं आपूर्ति पक्ष की मुश्किलें दूर करने से जुड़ी पहलों से भारत की साख का निर्धारण तय होगा। यह बात बुधवार को रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कही।
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