पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिक के साथ एक और अपमानजनक कदम उठाया है। इस्लामाबाद उच्च अदालत के एक कार्यकारी ने भारतीय उच्चायोग के प्रथम सचिव का फोन शुक्रवार को जब्त कर लिया है।
अमेरिका में पाकिस्तान के एक पूर्व दूत का दावा है कि चीन द्वारा 46 अरब डॉलर की लागत से आर्थिक गलियारा पहल के तहत विकसित किए जा रहे पाकिस्तान के रणनीतिक बंदरगाह से न केवल भारत, बल्कि अमेरिका, ईरान और खाड़ी के अन्य देशों को भी दिक्कत होगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि अमेरिका और भारत के संबंधों में पिछले दशकों में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों में सरकारें बदलने के बावजूद संबंध और मजबूत और परिवक्व हुए हैं।
चीन ने पीओके से होकर गुजरने वाले रणनीतिक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे :सीपीईसी: को लेकर अपना बचाव करते हुए कहा कि इसका कश्मीर मामले से कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है क्योंकि यह एक आर्थिक उपक्रम है। भारत ने सीपीईसी को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव तक भारतीय राजनयिक पहुंच मुहैया कराने से पाकिस्तान ने एक बार फिर साफ इनकार कर दिया है। भारत ने ये मांग 15 वीं बार की, लेकिन हर बार की तरह पाकिस्तान ने इनकार कर दिया है। अब भारत इस मामले में अमेरिका से उम्मीद लगा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एचआर मैकमास्टर भारत आ रहे हैं। संभावना है कि जाधव मसले पर भारत में उनके समकक्ष अजीत डोभाल से बातचीत हो सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि अमेरिका और रूस के संबंध इस समय अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई है कि यदि दोनों देश एक साथ आ जाएं तो बहुत अच्छा रहेगा।
भारतीय मूल के शीर्ष अमेरिकी सांसद एमी बेरा ने भारत और अमेरिका के संबंध के भविष्य के प्रति उम्मीद जताई है लेकिन साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि इस संबंध को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि इस रास्ते में घृणा अपराध की घटनाओं जैसे कई गड्ढे आएंगे।
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की शानदार जीत और मोदी की अपार लोकप्रियता से चीन भी सकते में आ गया है। यूपी में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने मोदी को लेकर आशंका जाहिर की है। अखबार ने लिखा है कि इससे भारत में विकास और तेज गति से होगा साथ ही भारत-चीन के संबंधों में और सख्ती आएगी।
व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप प्रशासन भारत के साथ गहरे संबंधों का निर्माण करना चाहता है। साथ ही व्हाइट हाउस ने आत्मविश्वास जाहिर करते हुए कहा कि दोनों देश संबंधों का विकास करना जारी रखेंगे।